आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की रिपोर्ट आने के बाद अब विश्व हिंदू परिषद ने अब ज्ञानवापी हिंदुओं को सौंपने की मांग की है. VHP का कहना है कि हिंदुओं को कथित वजूखाना इलाके में मिले शिवलिंग की पूजा करने की अनुमति मिलनी चाहिए. विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक हिंदू मंदिर के खंभों को बदलकर नए ढांचे के लिए इस्तेमाल किया गया. ASI द्वारा जुटाए गए सबूतों से साबित होता है कि मंदिर को तोड़कर यहां मस्जिद बनाई गई. यहां शिलालेखों में जानर्दन रुद्र और उमरेश्वर जैसे नाम मिलना इस बात के सबूत हैं. विश्व हिंदू परिषद ने इंतजामिया कमेटी से अपील की है कि वह मस्जिद को किसी दूसरे स्थान पर सम्मानपूर्वक ले जाएं और इस स्थान को सहमति से हिंदू समाज को सौंप दें.
क्या कहती है ASI की रिपोर्ट?
ज्ञानवापी मामले में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में इस स्थान पर मंदिर होने के सबूत मिले हैं. इस रिपोर्ट के आधार पर हिंदू पक्ष का दावा है कि ASI की रिपोर्ट में यहां के पिलर्स हिंदू मंदिर के हैं. यानी साफ है कि प्री एक्जिस्टिंग स्ट्रक्चर पर ही मस्जिद बनाई गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी दीवार पत्थर से बनी है, जिसमें कई मोल्डिंग स्ट्रक्चर और हिंदू धर्म से जुड़े कई निशान मौजूद हैं. यहां अंदर के स्ट्रक्चर में तेलगू, कन्नड और देवनागरी में मंत्र लिखे हुए हैं. इसके अलावा तहखाने में देवी-देवताओं की मूर्तियां और दूसरे स्ट्रक्चर भी मिले हैं.
क्या है ज्ञानवापी विवाद?
हिंदू पक्ष का कहना है कि ज्ञानवापी के नीच 100 फीट ऊंचा आदि विश्नेशर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है. इस मंदिर का निर्माण करीब 2050 साल पूर्व उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने करवाया था. जिसे 1664 में औरंगजेब ने तुड़वा दिया था और इसी स्थान पर मस्जिद बनाई गई. जिसे ज्ञानवापी मस्जिद के नाम से जाना जाता है. इसी दावे के आधार पर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे की मांग की गई थी. याचिकाकर्ताओं की मांग पर कोर्ट द्वारा कोर्ट कमिश्नर नियुक्ति किया गया और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से सर्वे करवाया गया.