उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर बनी कमेटी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ड्राफ्ट सौंप दिया है. सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की अगुवाई में बनी कमेटी ने 800 पेज की रिपोर्ट में मुख्य रूप से पैतृक संपत्तियों में महिलाओं को बराबरी का हक देने, गोद लेने, तलाक के एक जैसे अधिकार, बहुविवाह पर प्रतिबंध और लैंगिक समानता पर जोर दिया गया है. इस ड्राफ्ट में कमेटी ने हलाला, इद्दत और ट्रिपल तलाक को दंडनीय अपराध बनाने की सिफारिश की गई है. साथ ही साथ लिव-इन रिलेशन के लिए रजिस्ट्रेशन को जरूरी बनाने को कहा गया है.
समिति ने ये भी कहा है कि सभी धर्मों में युवतियों की शादी की उम्र 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल होनी चाहिए. जबकि मुस्लिम पर्सनल लॉ किसी भी लड़की की शादी को मान्यता देता है. हालांकि इस रिपोर्ट में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कुछ नहीं कहा गया है.
समान नागरिक संहिता लागू से क्या होगा?
अगर समान नागरिक संहिता लागू होती है. तो इससे मुस्लिम समाज की महिलाओं को बाकी समाज की महिलाओं की तरह हक मिलेंगे. उन्हें पैतृक संपत्ति, बच्चों को गोद लेने का अधिकार मिलेगा. साथ ही बहुविवाह पर रोक और शादी की उम्र 18 वर्ष तय हो जाएगी. समान नागरिक संहिता लागू होने पर शादी का रजिस्ट्रेशन भी जरूरी हो जाएगा. इसके बगैर विवाह अुवैध माने जाएंगे. इस मसौदे में अनुसूचित जनजातियों को समान नागरिक संहिता के दायरे से बाहर रखा गया है.
अब मसौदा मिलने के बाद इसे आने वाले विधानसभा सत्र में विधेयक लाया जाएगा. राज्य सरकार ने उम्मीद जताई है कि आगामी बजट सत्र में समान नागरिक संहिता का कानून पास हो जाएगा और इसके बाद यह लागू हो जाएगा. समान नागरिक संहिता को लेकर एक बार फिर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि – एक भारत, श्रेष्ठ भारत के विजन और चुनाव से पूर्व उत्तराखंड की देवतुल्य जनता के समक्ष रखे गए संकल्प और उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप हमारी सरकार प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने हेतु सदैव प्रतिबद्ध रही है.
अब कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद इसे विधि, वित्त और न्याय विभाग के पास भेजा जाएगा. जो इसके हर पहलू पर विचार करेंगे. उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करना धामी सरकार की प्राथमिकता है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने का वादा किया था. सरकार बनने के साथ ही हुई पहली कैबिनेट की बैठक में सबसे पहला फैसला समान नागरिक संहिता (UCC)को लेकर किया गया. फिर 27 मई, 2022 को इस मसले पर विशेषज्ञ समिति बनाई गई. इस समिति का कार्यकाल कई बार बढ़ाया भी गया. अब लोकसभा चुनाव से पहले समान नागरिक संहिता (UCC)लागू करने का वादा पूरा करने की कोशिश की जा रही है.