भारत में चल रहे लोकसभा चुनाव के बीच विदेशी मीडिया अपनी कलरेज में प्रधानमंत्री मोदी की जमकर आलोचना कर रही है. अमेरिकी मीडिया भी भारत के चुनाव को मुसलमानों के अगेंस्ट बता रहा है. लेकिन ताजा घटनाक्रम में अमेरिका ने इस मामले में सफाई दी है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि – अमेरिकी सरकार मीडिया की इन रिपोर्ट्स को पूरी तरह से खारिज करती है. अमेरिका पूरे विश्व में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करने के लिए हमेशा तैयार रहता है. हमें इसके लिए भारत समेत अन्य देशों का साथ मिला है. यही नहीं अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपनी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट को भी खारिज किया है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत में मुसलमानों को प्रताड़ित किया जा रहा है.
मोदी के तीसरी बार आने का डर दिखाया गया
दरअसल, भारत में चुनाव शुरू होने के बाद से ही अमेरिकी मीडिया ऐसा दावा कर रहा था कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में तीसरी बार वापस आते हैं यहां मुसलमानों के खिलाफ हिंसा बढ़ जाएगी और भारत सरकार मुसलमानों को दरकिनार कर देगी. हालांकि इन रिपोर्ट्स को मोदी सरकार खारिज कर चुकी है. हाल ही में आई इकॉनमी एडवाइजी काउंसिल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 1950 से 2015 के बीच भारत में मुस्लिम आबादी बढ़ी है. जबकि हिंदुओं की आबादी घटी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कहा है कि देश में किसी समुदाय के लोगों का दमन नहीं हो रहा है. ऐसी खबरें गलत हैं.
भारत से ज्यादा जीवंत लोकतंत्र कहीं नहीं
इससे पहले भी अमेरिका ने कहा है कि दुनिया में भारत से ज्यादा जीवंत लोकतंत्र कहीं और नहीं है. उसके मुताबिक भारतीयों के वोट देने और सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की क्षमता तारीफ के काबिल है.
केजरीवाल की गिरफ्तारी पर भड़का था विदेशी मीडिया
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद विदेशी मीडिया ने लिखा था कि – प्रधानमंत्री मोदी शायद आजादी के सबसे महत्वपूर्ण भारतीय नेता हैं, लेकिन उनकी एक छवि हिंदुत्व हितैषी और भारतीय मुसलमानों के प्रति पक्षपातपूर्ण व्यवहार वाली है. वो विपक्ष के प्रति असहिष्णु हैं, देश में मीडिया की अभिव्यक्ति और स्वतंत्रता प्रभावित हुई है. इसमें बीबीसी पर पड़े छापों का भी जिक्र किया गया है. (तस्वीर साभार – नरेंद्र मोदी के फेसबुक पेज से साभार)