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एक बोधप्रद संदेश (प्रेरणादायक कहानी )

Anju Pankaj Desk, December 10, 2023December 10, 2023

एक राजा था, उसका मंत्री बहुत बुद्धिमान था। एक बार राजा ने अपने मंत्री से प्रश्न किया – मंत्री जी ! भेड़ों और कुत्तों की पैदा होने की दर में तो कुत्ते भेड़ों से बहुत आगे हैं, लेकिन भेड़ों के झुंड के झुंड देखने में आते हैं और कुत्ते कहीं-कहीं और एक आध ही नजर आते है; इसका क्या कारण हो सकता है?
मंत्री बोला – महाराज! इस प्रश्न का उत्तर आपको कल सुबह मिल जायेगा।
राजा के सामने उसी दिन शाम को मंत्री ने एक कोठे में बीस कुत्ते बंद करवा दिये और उनके बीच रोटियों से भरी एक टोकरी रखवा दी।
दूसरे कोठे में बीस भेड़े बंद करवा दी और चारे की एक टोकरी उनके बीच में रखवा दी। दोनों कोठों को बाहर से बंद करवाकर, वे दोनों लौट गये।
सुबह होने पर मंत्री राजा को साथ लेकर वहां आया। उसने पहले कुत्तों वाला कोठा खुलवाया। राजा को यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि बीसो कुत्ते आपस में लड़-लड़कर अपनी जान दे चुके हैं और रोटियों की टोकरी ज्यों की त्यों रखी है। कोई कुत्ता एक भी रोटी नहीं खा सका था।
इसके पश्चात मंत्री राजा के साथ भेड़ों वाले कोठे में पहुंचा। कोठा खोलने के पश्चात राजा ने देखा कि सभी भेड़ एक दूसरे के गले पर मुंह रखकर बड़े ही आराम से सो रही थीं और उनकी चारे की टोकरी एकदम खाली थी।
मंत्री राजा से बोला- महाराज! कुत्ते एक भी रोटी नहीं खा सके तथा आपस में लड़-लड़कर मर गये; उधर भेड़ों ने बड़े ही प्रेम से मिलकर चारा खाया और एक दूसरे के गले लगकर सो गईं। यही कारण है, कि भेड़ों के वंश में वृद्धि है, समृद्धि है। उधर कुत्ते हैं, जो एक-दूसरे को सहन नहीं कर सकते।

जिस समाज में इतनी घृणा तथा द्वेष होगा, उसकी वृद्धि भला कैसे हो सकती है।
राजा मंत्री की बात से पूरी तरह संतुष्ट होकर मान गया, कि आपसी प्रेम तथा भाईचारे से ही वंश वृद्धि होती है।

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