खालिस्तानियों का उत्पात और हौसला दोनों बढ़ता जा रहा है. इन लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी के इटली दौरे से ठीक पहले वहां महात्मा गांधी की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया है. प्रधानमंत्री जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए 13 जून को इटली पहुंच रहे हैं. इस घटना की तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि खालिस्तानी समर्थकों ने पहले बापू की प्रतिमा तोड़ी फिर उस जगह पर नारे भी लिखे. इस मामले में भारतीय विदेश मंत्रालय ने इटली के अधिकारियों से बातचीत की है, जिसके बाद जरूरी कार्रवाई भी हुई है. फिलहाल गांधी जी की प्रतिमा को ठीक करा दिया गया है.
स्वर्ण मंदिर में लगे थे खालिस्तानी नारे
खालिस्तानी समर्थकों के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि पिछले दिनों ऑपरेशन ब्लू स्टार की चालीसवीं बरसी पर सिख समाज के कुछ लोगों ने प्रदर्शन किया और खालिस्तान समर्थक नारे लगाए गए. इस दौरान उनके हाथों में जरनैल सिंह भिंडरावाले के पोस्टर भी नजर आए.
खालिस्तानी समर्थकों की जीत से बढ़े हौसले
पंजाब की दो लोकसभा सीटों पर खालिस्तानी समर्थकों की जीत की वजह से भी इनके हौसले बढ़ गए हैं. खडूर साहिब से अमृतपाल सिंह की जीत हुई है. जो फिलहाल देशद्रोह के आरोप में असम के डिब्रूगढ़ जेल में बंद है. जबकि फरीदकोट से सर्बजीत सिंह खालसा ने भी चुनाव जीता है. जो इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले बेअंत सिंह के बेटे हैं.
कनाडाई पीएम की मौजूदगी में खालिस्तानी नारेबाजी
इसी साल अप्रैल में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की मौजूदगी में खालिस्तानी समर्थकों ने नारेबाजी की थी. टोरंटो में खालसा दिवस समारोह में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी मौजूद थे. जिस वक्त वो संबोधन के लिए मंच पर जाने वाले थे, उस दौरान तेज आवाज में नारे लगाए गए. इस कार्यक्रम में ट्रूडो ने कहा कि कनाडा सिख अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. कनाडा से मिल रहे समर्थन की वजह से भी खालिस्तानियों के हौसले बढ़े हैं. इसी वजह से कनाडा और भारत के संबंध में तनाव भी आया है.
खालिस्तानी आतंकियों ने किया था भारतीय विमान हाईजैक
29 सितंबर, 1981 को खालिस्तानी आतंकियों ने एक भारतीय प्लेन को हाईजैक कर लिया था. इस विमान को हाईजैक कर लाहौर ले जाया गया. जब हाईजैकर्स सरेंडर करते तो पाकिस्तान उन्हें भारत को नहीं सौपता था. बल्कि उन्हें गुरु द्वारे में रहने की इजाजत दे देता था. इसके बाद खालिस्तानी आतंकियों ने तीन और विमानों को हाईजैक किया और पाकिस्तान में लैंड करा कर भारत से अपनी बात मनवाते थे.
खालिस्तानियों को पाकिस्तान करता है मदद
खालिस्तानियों के भारत विरोधी हौसले बढ़ने की एक वजह यह भी है कि पाकिस्तान इन लोगों की मदद करता है और इनका इस्तेमाल करता है. पाकिस्तान के अलावा ब्रिटेन और अमेरिका भी भारत पर दबाव बनाने के मकसद से चोरी-छिपे इन लोगों की मदद करते रहे हैं. 80 के दशक में खालिस्तानी आंदोलन अपने चरम पर था. विदेशों में रहने वाले सिखों के जरिए उन्हें नैतिक और आर्थिक समर्थन मिलता था. इस दौरान जरनैल सिंह भिंडरावाले के नेतृत्व में खालिस्तान समर्थकों ने स्वर्ण मंदिर को अपना केंद्र बना लिया और इसे अपने कब्जे में ले लिया.
धीरे-धीरे पंजाब आतंकवाद और अराजकता की जद में आ गया. साल 1980 से 1984 के बीच पंजाब में खूब हिंसा हुई. 1983 में स्वर्ण मंदिर परिसर में डीआईजी अटवाल की हत्या कर दी गई. स्वर्ण मंदिर अब किले में बदल चुका था. इसे आतंकियों से मुक्त कराने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टॉर चलाया गया. इस 6 जून, 1984 को शुरू की गई ये सैन्य कार्रवाई में 4 दिन तक चली. जिसके बाद स्वर्ण मंदिर को मुक्त करा लिया गया. इस कार्रवाई के बदले के रूप में इंदिरा गांधी के अंगरक्षकों ने ही उनकी गोली मार कर हत्या कर दी. (तस्वीर – प्रतीकात्मक)