Skip to content
Anju Pankaj
Anju Pankaj

  • National
  • Politics
  • Religious
  • Sports
  • Video Gallery
  • Stories
  • Tours and Travel
  • Advertise
  • Blog
Anju Pankaj

कर्म और भाग्य ( धार्मिक कथा )

Anju Pankaj Desk, December 1, 2023December 1, 2023

प्रकृत्य ऋषि का रोज का नियम था कि वह नगर से दूर जंगलों में स्थित शिव मन्दिर में भगवान शिव की पूजा में लीन रहते थे। कई वर्षो से यह उनका अखण्ड नियम था। उसी जंगल में एक नास्तिक डाकू अस्थिमाल का भी डेरा था। अस्थिमाल का भय आसपास के क्षेत्र में व्याप्त था। अस्थिमाल बड़ा नास्तिक था। वह मन्दिरों में भी चोरी-डाके से नहीं चूकता था।

एक दिन अस्थिमाल की नजर प्रकृत्य ऋषि पर पड़ी। उसने सोचा यह ऋषि जंगल में छुपे मन्दिर में पूजा करता है, हो न हो, इसने मन्दिर में काफी माल छुपाकर रखा होगा। आज इसे ही लूटते हैं।
अस्थिमाल ने प्रकृत्य ऋषि से कहा कि जितना भी धन छुपाकर रखा हो, चुपचाप मेरे हवाले कर दो।

ऋषि उसे देखकर तनिक भी विचलित हुए बिना बोले- कैसा धन? मैं तो यहाँ केवल पूजा हेतु ही आता हूँ।
डाकू को उनकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ। उसने क्रोध में ऋषि प्रकृत्य को जोर से धक्का मारा। ऋषि ठोकर खाकर शिवलिंग के पास जाकर गिरे और उनके सिर से रक्त की धारा फूट पड़ी।
इसी बीच आश्चर्य हुआ कि ऋषि प्रकृत्य के गिरने के फलस्वरूप शिवालय की छत से सोने की कुछ मोहरें अस्थिमाल के सामने गिरीं। अस्थिमाल अट्टहास करते हुए बोला- तू ऋषि होकर झूठ बोलता है। झूठे ब्राह्मण! तू तो कहता था कि यहाँ कोई धन नहीं, फिर ये सोने के सिक्के कहाँ से गिरे? अब अगर तूने मुझे सारे धन का पता नहीं बताया तो मैं यहीं पटक-पटकर तेरे प्राण ले लूँगा।
प्रकृत्य ऋषि करुणा में भरकर दुखी मन से बोले- हे शिवजी! ये कैसी विपत्ति आ पड़ी? प्रभो! मेरी रक्षा करें।
महेश्वर तत्क्षण प्रकट हुए और ऋषि को कहा कि इस होनी के पीछे का कारण मैं तुम्हें बताता हूँ। यह डाकू पूर्वजन्म में एक ब्राह्मण ही था। इसने कई कल्पों तक मेरी भक्ति की थी, परन्तु इससे प्रदोष के दिन एक भूल हो गई। यह पूरा दिन निराहार रहकर मेरी भक्ति करता रहा।

दोपहर में जब इसे प्यास लगी तो यह जल पीने के लिए पास के ही एक सरोवर तक पहुँचा। संयोग से एक गाय का बछड़ा भी दिन भर का प्यासा वहीं पानी पीने आया। तब इसने उस बछड़े को कोहनी मारकर भगा दिया और स्वयं जल पीया। इसी कारण इस जन्म में यह डाकू हुआ।
तुम पूर्वजन्म में मछुआरे थे। उसी सरोवर से मछलियाँ पकड़कर उन्हें बेचकर अपना जीवन यापन करते थे। जब तुमने उस छोटे बछड़े को निर्जल परेशान देखा तो तुम अपने पात्र में उसके लिए थोड़ा जल लेकर आए। उस पुण्य के कारण तुम्हें यह कुल प्राप्त हुआ।
पिछले जन्मों के पुण्यों के कारण इसका आज राजतिलक होने वाला था, लेकिन इसने इस जन्म में डाकू होते हुए न जाने कितने निरपराध लोगों को मारा व देवालयों में चोरियां की, इस कारण इसके पुण्य क्षीण हो गए और इसे केवल ये कुछ मुद्रायें ही मिल पायीं।
और तुमने पिछले जन्म में अनगिनत मत्स्यों का आखेट किया, जिसके कारण आज का दिन तुम्हारी मृत्यु के लिए तय था। लेकिन इस जन्म में तुम्हारे संचित पुण्यों के कारण तुम्हें मृत्यु स्पर्श नहीं कर पायी और सिर्फ यह घाव देकर लौट गई।

ईश्वर वह नहीं करते जो हमें अच्छा लगता है, ईश्वर वही करते हैं जो हमारे लिए सचमुच अच्छा है। यदि हमारे अच्छे कार्यों के बावजूद भी हमें कोई कष्ट हो रहा है तो यह समझना है कि इस तरह ईश्वर हमारे बड़े कष्ट हर रहे हैं।
हमारी दृष्टि सीमित है परन्तु ईश्वर तो लोक-परलोक सब देखते हैं, सबका हिसाब रखते हैं। हमारा वर्तमान, भूत और भविष्य सभी को जोड़कर हमें वही प्रदान करते हैं जो हमारे लिए उचित है।

Religious Stories

Post navigation

Previous post
Next post

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

©2025 Anju Pankaj | WordPress Theme by SuperbThemes