मोहब्बत की दुकान चलाने और बीजेपी पर धर्म के नाम पर समाज को बांटने का आरोप लगाने वाली और कांग्रेस पार्टी का दो-मुहापन एक बार फिर उसके घोषणापत्र से उजागर हो गया है. इसे कांग्रेस ने भले ही न्यायपत्र नाम दिया है. लेकिन कांग्रेस का न्याय कितना एकतरफा इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हिंदू समाज को बांटने वाले जातिगत आरक्षण (जातिगत जनगणना) के जरिए बांटने का संकेत दिया गया है. वहीं मुस्लिम समाज से जुड़े कानूनों में किसी तरह के किसी संशोधन और दखल नहीं देने के संकेत दिए गए हैं. यानी एक समाज के कानूनों को सुरक्षा दी जाएगी और दूसरे समाज को बांट कर अपनी सियासी रोटी सेंकी जाएगी.
‘देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का’
याद कीजिए दिसंबर, 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का एक बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है. ये है कांग्रेस का चरित्र उसकी मोहब्बत की दुकान में मिलने वाली मोहब्बत केवल एक खास समाज के लिए है.
मोहब्बत की दुकान पर कांग्रेसियों को भरोसा नहीं?
बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे दोनों ही नेता घोर सांप्रदायिक नजरिया रखते हैं. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्यौता ठुकरा देते हैं, लेकिन ईसाई धर्म के कार्यक्रम के लिए पार्टी के लिए दो बड़े नेताओं को इटली भेजती हैं. कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए गौरव वल्लभ का कहना है कि राममंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह कार्यक्रम का न्यौता कांग्रेस द्वारा ठुकराए जाने से वो दुखी हैं. उन्होंने कहा कि वो दिन भर वेल्थ क्रिएटर्स की आलोचना नहीं कर सकते और न ही कांग्रेस की तरह लगातार सनातन धर्म का अपमान कर सकते हैं. (तस्वीर क्रेडिट- राहुल गांधी के फेसबुक अकाउंट से साभार)