समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे. उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने निमंत्रण स्वीकार नहीं करने की वजह बताई कि – कोई जान पहचान वाला न्योता देने आएगा तभी वह निमंत्रण स्वीकार करेंगे. इससे पहले अखिलेश यादव ने कहा था कि अगर राम जी बुलाएंगे तो मैं दर्शन करने आऊंगा. बता दें कि कुछ लोगों द्वारा इस बात की मांग की जा रही थी कि कारसेवकों पर फायरिंग के लिए जिम्मेदार लोगों को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं बुलाया जाए. इस पर अखिलेश यादव ने भगवान के बुलाने पर दर्शन के लिए जाने की बात कही थी. अखिलेश यादव यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि – किसी का भगवान कोई भी हो हमारा भगवान पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी और आधी आबादी है.
जब अयोध्या में रामभक्तों पर चली थीं गोलियां
घटना 1992 के विवादित ढांचे को गिराए जाने से 2 साल पहले की है. 30 अक्टूबर 1990 को कारसेवक और साधु-संतों की बेकाबू भीड़ हनुमानगढ़ी की ओर बढ़ रही थी. जैसे ही भीड़ बैरिकेडिंग का हिस्सा तोड़ कर विवादित ढांचे की ओर बढ़ने लगी तो लखनऊ से (मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के आदेश पर )फायरिंग के आदेश आ गए. पुलिस ने निहत्ते कारसेवकों पर फायरिंग कर दी. जिसमें कई कारसेवकों की मौत हो गई. एक नवंबर को इन कारसेवकों का अंतिम संस्कार किए जाने के बाद 2 नवंबर को फिर कारसेवकों की भीड़ आगे बढ़ी तो दोबारा फिर फायरिंग की गई. इस बार भी कई कारसेवकों की मौत हो गई, कई घायल हो गए. इस घटना के सालों बाद साल 2016 में अपने एक भाषण में मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि – अगर वो मस्जिद गिर जाने देते तो हिंदुस्तान का मुसलमान महसूस करता कि हमारे धार्मिक स्थल भी नहीं रहेंगे तो इस देश की एकता के लिए खतरा होता. उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि अगर 16 जानें तो कम थीं अगर 30 जानें जाती तो देश की एकता के लिए मैं अपना फैसला वापस नहीं लेता.