केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बिहार को बंगाल बनाने का आरोप लगाते हुए जमकर निशाना साधा है. उन्होंने बिहार सरकार से राज्य में अवैध मस्जिदों और मदरसों पर रोक लगाने की मांग की है. अपने तीखे बयानों को लेकर मशहूर गिरिराज सिंह ने कहा कि जिस तरह से अवैध मस्जिद और मदरसों की संख्या में इजाफा हो रहा है. इससे देश की सुरक्षा को लेकर बड़ा संकट खड़ा हो गया है. उन्होंने दावा किया कि बिहार के नेपाल और बांग्लादेश से सटे सीमावर्ती इलाकों में तो हालात बहुत ज्यादा खराब हो चुके हैं. जिससे न केवल बिहार बल्कि देश की सुरक्षा खतरे में है.
उन्होंने कहा कि इन अवैध मस्जिदों और मदरसों को फौरन बंद किया जाना चाहिए और अगर ऐसा नहीं किया गया और सब कुछ यूं ही छोड़ दिया गया तो आने 20 सालों में बिहार के लोगों का धन और धर्म दोनों खतरे में पड़ जाएगा और अगर ऐसा हुआ तो इसके जिम्मेदार केवल नीतीश कुमार और लालू यादव होंगे. गिरिराज सिंह का कहना है कि नीतीश कुमार और लालू यादव के गठजोड़ को तुष्टिकरण की सियासत छोड़कर बिहार के विकास के बारे में सोचना चाहिए.
इससे पहले भी गिरिराज सिंह ने ऐसे मुद्दों पर कई बार नीतीश सरकार पर सवाल उठाए हैं. नालंदा में रामनवमी पर हुई हिंसा के दौरान मदरसा अजीजिया की लाइब्रेरी को जलाए जाने की घटना के बाद उसके पुनर्निमाण के लिए बिहार सरकार ने 30 करोड़ रुपए की मदद देने की घोषणा की थी. इस पर गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार पर आरोप लगाया था कि इस हिंसा में जिन हिंदुओं के घर और दुकानें आग के हवाले कर दी गई थीं उनकी मदद बिहार सरकार ने क्यों नहीं की ?
दो दिन पहले ही बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में 2024 की छुट्टी के कैलेंडर पर विवाद हो गया था. आरोप है कि विभाग द्वारा जो कैलेंडर जारी किया गया उसमें भी महाशिवरात्रि, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी जैसे त्यौहारों की छुट्टियां खत्म कर दी गईं, जबकि ईद और बकरीद की छुट्टियां बढ़ा दी गई. जिसके बाद बीजेपी नेताओं ने इस फैसले का जमकर विरोध किया. बीजेपी ने नीतीश सरकार को हिंदू विरोधी बताया और तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए उनकी तुलना औरंगजेब और बख्तियार खिलजी से की. हालांकि इस मसले पर बिहार सरकार ने सफाई में कहा कि सामान्य स्कूलों और उर्दू स्कूलों के कैलेंडर अलग-अलग जारी किए गए थे. हिंदू धर्म के त्योहार की छुट्टियां पहले की तरह मिलती रहेंगी.
बता दें कि इससे पहले उत्तराखंड में वन विभाग की जमीनों पर अवैध मजारों के निर्माण का मामला सामने आ चुका है. यहां अचानक से बड़ूी संख्या में मजार देखे जाने पर सरकार हरकत में आई और इसके बाद उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने इसके खिलाफ मुहिम चलाकर 455 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन को इससे मुक्त कराया. राज्य सरकार के सर्वे में एक हजार से ज्यादा मजारें और अन्य ढांचे बने होने की जानकारी सामने आई थी.
मीडिया में इसे उत्तराखंड में वन विभाग की जमीन पर लैंड जिहाद नाम दिया गया. हैरानी की बात है कि यहां अतिक्रमण हटाए जाने के दौरान मजारों के नीचे कोई भी मानव अवशेष नहीं मिले. इससे साफ होता है कि इन मजारों का निर्माण वन विभाग की जमीन पर अवैध कब्जे के मकसद से कराया गया था. यही नहीं उत्तराखंड सरकार वहां रह रहे बाहरी लोगों का सत्यापन भी करा रही है. हालांकि दुख की बात ये भी है कि अतिक्रमण हटाए जाने के कुछ दिनों बाद कई जगहों पर इन मजारों का फिर से निर्माण कराए जाने की खबरें मीडिया में आई हैं. लेकिन वन विभाग इस ओर से लापरवाह नजर आ रही है.