हर बार के लोकसभा चुनाव की तरह आखिरी चरण की वोटिंग से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साधना में लीन हो गए हैं. कोई इसे अगले कार्यकाल की तैयारी, तो कोई इसे चार सौ पार की कामना के लिए की जाने वाली साधना कह रहा है. लेकिन इन सबसे अलग प्रधानमंत्री मोदी की ये साधना देश और हिंदू धर्म के उत्थान के लिए है. इसके जरिए वो राष्ट्रीय एकता का संदेश देने की कोशिश तो कर ही रहे हैं. साथ ही वो हिंदू धर्म की विरासत को सहेजने और संवारने में भी जुटे है.
पिछले 75 दिनों में 19 रोड शो समेत 206 चुनावी रैलियों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर हैं. इस बार वो कन्याकुमारी के उसी प्रसिद्ध विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर ध्यान लगा रहे हैं. जहां से स्वामी विवेकानंद ने तीन दिनों तक तपस्या करते हुए विकसित भारत का सपना देखा था. ये जगह भगवान शिव और मां पार्वती से भी जुड़ी है. प्रधानमंत्री मोदी की आध्यात्मिक यात्रा हिंदू धर्म की विरासत को सहेजने और संरक्षित भी कर रही है.
अभी पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में समुद्र के अंदर जाकर द्वारका नगरी के दर्शन किए और वहां भी ध्यान लगाया. प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि द्वारका के दर्शन ने उनके विकसित भारत के संकल्प को और मजबूती दी है. वहीं रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री ने दक्षिण भारत के प्रमुख मंदिरों में दर्शन और पूजा पाठ किए. जो ये दिखाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में हिंदू धर्म के प्रति कितनी गहरी आस्था है. उनके नेतृत्व में हिंदू धर्म दोबारा अपने गौरव को पाने के लिए उत्साहित नजर आ रहा है. ये उनकी ही कोशिशों का परिणाम है कि अयोध्या में भव्य राममंदिर हिंदुत्व के अभिमान के रूप में फिर से स्थापित हुआ है.
ये पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव खत्म होते ही प्रमुख धार्मिक स्थलों के दौरे पर जा रहे हों. इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान से ठीक पहले उन्होंने केदारनाथ धाम का दौरा किया था. यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ मंदिर से करीब एक किलोमीटर दूर रुद्र गुफा में करीब 17 घंटे तक ध्यान लगाया था. इसी तरह 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रतापगढ़ किले का दौरा किया था. ये जगह हिंदुओं के पराक्रम और शौर्य की गाथा कहती है. यहीं शिवाजी ने मुगलों के सेनापति अफजल खान का पेट अपने बाघनख से चीर कर रख दिया था.
साल 2015 में प्रधानमंत्री ने कोलकाता में बेलूर मठ के उस कमरे में ध्यान लगाया था. जहां खुद स्वामी विवेकानंद साधना किया करते थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ये आध्यात्मिक यात्राएं इस लिहाज से भी अहम है क्योंकि वो जब-जब वो जहां गए उस जगह के टूरिज्म को जबरदस्त रफ्तार मिली.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐसी ही एक आध्यात्मिक यात्रा साल 1968 में गुजरात के वडनगर से शुरू हुई थी. जो पहले कोलकाता फिर अलग अलग जगहों से होते हुए केदारनाथ से 3 किलोमीटर दूर गरुड़ चट्टी पहुंची थी. यहां उन्होंने करीब डेढ़ महीने तक साधना की थी. इन्हीं साधना से मिली ऊर्जा को वो देश और धर्म की भलाई के लिए झोंक देते हैं. यही ऊर्जा उन्हें औरों से कहीं अलग और मजबूत बनाती है. यही वजह है कि वो बिना रुके, बिना थके सभी की भलाई के लिए लगातार कोशिशों में जुटे हुए हैं. (तस्वीर साभार – नरेंद्र मोदी के फेसबुक पेज से साभार)