एक बार फिर बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाने बनाए जाने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. पिछले दिनों मागुरा में हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की गई फिर उन लोगों के घरों में आगजनी की गई. जिससे इलाके के हिंदू दहशत में आ गए. बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले होना अब आम घटनाओं जैसा होता जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले दो महीने में यहां 5 मंदिरों में हमले हुए. ऐसी घटनाओं की वजह से लोगों का पलायन हो रहा है.
ग्लोबल ह्यूमन राइट्स डिफेंस की रिपोर्ट के मुताबिक 2 महीने में करीब 15 हजार हिंदू पलायन करके दूसरे जिलों में चले गए हैं. आम लोगों को प्रशासन की ओर से कोई सुरक्षा मुहैया नहीं जा रही है. यही नहीं कार्रवाई के नाम भी दिखावा किया जाता है. इस साल मई महीने तक हुए हिंदुओं पर हमले के 30 से ज्यादा मामलों में सिर्फ 3 लोगों की गिरफ्तारी की गई है. पुलिस केस तक दर्ज नहीं करती है, जिसके बाद लोग डर के मारे इलाका छोड़ कर कहीं और चले जाते हैं.
पिछले 10 साल में 1670 मंदिरों पर हमले
बांग्लादेश के मानवाधिकार संगठन सलिश केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 साल के दौरान हिंदुओं पर हमले की 3600 घटनाएं हुईं. पिछले 40 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो बांग्लादेश की हिंदू आबादी 13.5 प्रतिशत से घटकर 8.5 प्रतिशत हो गई है. जबकि आजादी मिलने से पहले बांग्लादेश में हर तीसरा शख्स हिंदू था. 1901 में हुई जनगणना में यहां कुल 33 फीसदी हिंदू आबादी थी. लेकिन अब यहां हिंदुओं की आबादी में तेजी से कम आई है. 1951 में हिंदू आबादी 22 प्रतिशत, 1974 में 13.50 प्रतिशत, 2001 में 9.20 प्रतिशत, 2011 में 8.50 और 2022 में 7.90 प्रतिशत हिंदू ही बचे.
हिदुओं को भगाया और भारत में घुसपैठ भी की
भारत सरकार के अनुमान के मुताबिक देश में 2 करोड़ से ज्यादा बांग्लादेशी रहते हैं. हैरानी की बात है कि एक तरह बांग्लादेश में हिंदुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है. दूसरी तरह बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी को घुसपैठ करा कर बसाया जा रहा है. आज असम और बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह हिंदुओं की आबादी कम हो रही है. इस घुसपैठ का असर अब हिंदी प्रदेशों में नजर आने लगा है. पश्चिम बंगाल में लेफ्ट और ममता बनर्जी की सरकारों पर घुसपैठ को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं. (तस्वीर आभार – दुर्गा पूजा फेसबुक पेज से साभार)