हमेशा की तरह एक बार फिर एक फिल्म में हिंदू विरोधी कंटेंट परोसा गया है. हैरानी की बात है कि हर बार बेखौफ होकर ऐसा किया जाता है. इस बार नेटफ्लिक्स पर आई फिल्म अन्नपूर्णी में ऐसा किया गया है. फिल्म के एक सीन में हिंदू ब्राह्मण लड़की को बिरयानी बनाने से पहले नमाज पढ़ता दिखाया गया है. यही नहीं फिल्म में हिंदू लड़की का मुस्लिम ब्वॉयफ्रेंड उस लड़की को यह कहकर मांस खाने के लिए प्रेरित करता है कि रामचंद्र जी वनवास के दौरान मांस खाते थे. जाहिर है ये सीन मांसाहार को बढ़ावा देने के लिए तो नहीं ही जोड़ा गया होगा. मंशा साफ है जो श्रेष्ठ हो उसे नीचा साबित कर दो और खुद श्रेष्ट बन जाओ. फिलहाल हिंदू आईटी सेल के संस्थापक रमेश सोलंकी की ओर से मुंबई में केस दर्ज करा दिया है. लेकिन आगे ऐसा नहीं होगा इस बात की गारंटी शायद ही कोई ले.
हर बार ऐसा क्यों होता है कि एंटरटेनमेंट के नाम पर हिंदुओं की आस्था को आसानी ने निशाना बनाने दिया जाता है. दरअसल दूसरे धर्मों के लोगों की आस्था पर सवाल उठाने की इनमें हिम्मत ही नहीं हैं. क्योंकि उन्हें डर है कि उसका जवाब हिंसा के रूप में मिल सकता है. ऐसे में हिंदू धर्म उनके लिए आसान टार्गेट है. दूसरी एक वजह और भी है कि हिंदू धर्म की कमियों पर बात करो उसे नीचा दिखाओ जिससे खुद हिंदुओं को अपने धर्म और धार्मिक विश्वासों पर ही संदेह होने लगे.
क्या जंगल में श्रीराम ने मांसाहार किया ?
पिछले दिनों राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड ने दावा किया कि भगवान राम बहुजन थे और मांसाहारी थे. जितेंद्र आव्हाड नहीं हैं जो ये सवाल उठाते हैं कि जंगल में प्रवास के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण बगैर मांसाहार कैसे गुजारा करते रहे होंगे. दावा किया जाता है कि जंगल में मांसाहार के बगैर रहना संभव ही नहीं है. इनसे कौन पूछे कि क्या जंगलों में कंद-मूल और फल नहीं मिलता. ऐसे लोगों को जानकारी के लिए बता दें कि इन तीनों ने वनवास के 14 साल कंद-मूल खाकर गुजारे थे. इसी वजह से इन्हें रामफल भी कहा गया है. यह जंगलों में खुद से उग जाते हैं और इन्हें खाने से काफी देर तक भूख नहीं लगती और एनर्जी भी मिलती है. कोई सवाल उठाने वालों को ये भी बताए कि उन दिनों जंगलों में सिर्फ जानवर ही नहीं आदिवासी भी रहा करते थे. इन्हीं लोगों ने श्रीराम को इन कंद-मूल के बारे में जानकारी दी थी. इन्हें कोई ये भी बताए कि जंगलों में ऋषि-मुनि भी रहा करते थे. जाहिर है ऋषि-मुनि तो मांसाहार नहीं करते रहे होंगे. तो ये ऋषि-मुनि भी कंद-मूल और फल खाकर ही जंगलों में तप किया करते थे. भगवान राम के वनवास से पहले प्रतिज्ञा का जिक्र है, जिसमें उन्होंने वनवास के दौरान मांसाहार नहीं करने की बात कही है.
माता सीता ने हिरण का शिकार करने के लिए श्रीराम से क्यों कहा ?
बहुत से लोग ये सवाल उठाते हैं कि माता सीता ने भगवान राम से हिरण का शिकार करने को क्यों कहा. कुछ लोग ऐसा दावा करते हैं कि मांसाहार के लिए हिरण का शिकार करने को कहा, कुछ लोग दावा करते हैं कि हिरण की चमड़ी के लिए शिकार करने को कहा. जबकि सच्चाई है कि जब माता सीता ने श्रीराम से हिरण का शिकार करने को नहीं कहा था. बल्कि उस खूबसूरत हिरण को पकड़ कर लाने को कहा था. इस पर श्रीराम ने उन्हें समझाया कि वो हिरण का बच्चा है उसे लाने से उसकी मां परेशान होगी. इस पर माता सीता ने कहा कि कोई बात नहीं जबतक उसकी मां नहीं आ जाती तब तक उसे आश्रम में रख लेते हैं. इस पर भगवान राम राजी हो गए. लेकिन जब वो हिरण का पीछा करते हुए आगे बढ़े तो उन्हें एहसास हुआ कि ये हिरण के रूप में कोई मायावी है तो उन्होंने उसका वध कर दिया. जहां तक हिरण की चमड़ी (मृगचर्म) वाली बात है. बता दें कि मृगचर्म या फिर किसी जंगली जानवर का चर्म सिर्फ बर्फीले इलाके में इस्तेमाल किया जाता है. जैसे शिव जी की तस्वीरों के साथ हम ऐसा ही देखते हैं. क्योंकि भगवान शिव का वास कैलाश पर्वत जैसे बर्फीली जगह पर बताया गया है. इस तरह झूठ और भ्रामक जानकारी के जरिए हिंदू धर्म पर सवाल उठाए जाते हैं और हिंदुओं की आस्था पर चोट पहुंचाई जाती है.