पिछले कई दिनों से ‘हिंदुत्व ग्रोथ रेट’ पर काफी बहस छिड़ी हुई है. इस बहस की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी सांसद सुधांशु त्रिवेदी के उस बयान से हुई जो उन्होंने राज्यसभा में अर्थव्यवस्था पर बहस के दौरान दी. उन्होंने कहा कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ‘हिंदू ग्रोथ रेट’ (Hindu rate of growth) से आगे बढ़कर आठ प्रतिशत के ‘हिंदुत्व ग्रोथ रेट’ पर तेजी से आगे बढ़ रही है. अपने इस बयान में उन्होंने ‘हिंदू ग्रोथ रेट’ शब्द जिसे एक कहावत के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, उसमें थोड़ा बदलाव कर उसे ‘हिंदुत्व ग्रोथ रेट’ करते हुए उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई की ओर ले जाने की बात कही.
डॉ.सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस के शासन के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को लेकर माखौल उड़ाया जाता था कि देश की ग्रोथ रेट 2 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ सकती है. ऐसा कहते वक्त इसे ‘हिंदू ग्रोथ रेट’ (Hindu rate of growth) नाम से मजाक उड़ाया जाता था. उन्होंने आगे कहा कि आज जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी आई है, तब से देश की इकॉनमी तरक्की कर रही है. यही नहीं भारत की अर्थव्यवस्था, विश्व की टॉप अर्थव्यवस्था में सबसे ऊपर 7.8 फीसदी की ग्रोथ रेट से अग्रसर है. डॉ त्रिवेदी ने कहा कि जिन लोगों को ‘हिंदुत्व’ शब्द से ईष्या है, ये वही लोग हैं जो देश की 2 प्रतिशत के ‘हिंदू ग्रोथ रेट’ (Hindu rate of growth) पर प्रसन्न थे. लेकिन अब ऐसा नहीं है, क्योंकि अब यह ‘हिंदू ग्रोथ रेट’ नहीं ‘हिंदुत्व ग्रोथ रेट’ है.
डॉ.सुधांशु त्रिवेदी का कहना है कि आज हिंदुत्व में विश्वास रखने वाले लोग आए हैं. कुछ लोग इसे सिर्फ संयोग कह सकते हैं, लेकिन उनकी नजर में ये दैवयोग है, श्रीराम की कृपा है. ऐसे वक्त में जब अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है, ये उन्ही की कृपा है कि अपना देश ग्लोबल इकॉनमी में ग्रोथ रेट के टॉप पर है. जब पूरे विश्व की इकॉनमी को झटका लगा है, तब अपनी जहाज के कैप्टन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसे पूरी निपुणता से बचाकर निकाल रहे हैं.
Hindu rate of growth क्या है ?
सबसे पहले ‘हिंदू ग्रोथ रेट’ शब्द का इस्तेमाल अर्थशास्त्री राजकृष्णा ने एक सभा में किया था. दरअसल 1950 से 1980 के बीच में देश की अर्थव्यवस्था की निम्न वृद्धि दर (कमजोर जीडीपी) को हिंदू वृद्धि दर यानी Hindu rate of growth नाम दिया गया. हालांकि इस शब्द में हिंदू शब्द का मतलब हिंदू धर्म से कतई नहीं था. लेकिन इस शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया गया था, क्योंकि हिंदू, किसी काम करने की बजाए भाग्यवाद (Fatalism) में विश्वास करते हैं. इसलिए इसी भावना या इसी प्रवृत्ति को अर्थव्यवस्था की कमजोर रफ्तार के लिए जिम्मेदार माना जाता था.