ध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव शपथग्रहण के साथ ही एक्शन में आ गए हैं. वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नक्शेकदम पर चलते दिखाई दे रहे हैं. शपथग्रहण के बाद तीन दिन के अंदर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पांच बड़े फैसले लिए. जिससे साफ है कि वो योगी आदित्यनाथ की तरह ही काम करेंगे. पद ग्रहण करने के दो दिन के अंदर ही मुख्यमंत्री मोहन यादव ने तीन घरों पर बुलडोजर की कार्रवाई करवा दी. ये तीनों घर उन लोगों के हैं जिन लोगों पर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता पर हमला करने का आरोप है. ये ठीक वैसी ही शैली है जैसे यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार ऐसे मामलों में एक्शन लेती है.
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कैबिनेट की पहली बैठक में उन्होंने पहला फैसला ये लिया कि पूरे मध्यप्रदेश में धार्मिक स्थलों पर तेज आवाज में चलाए जा रहे लाउडस्पीकर हटाया जाए. इस आदेश को लागू करने के लिए टीम बनाने के साथ-साथ ऐसा कर रहे लोगों को इसे हटाने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया. मुख्यमंत्री के इस आदेश के बाद प्रशासन आदेश लागू करने के लिए हरकत में आ गया है. इसी तरह मध्यप्रदेस में खुले में मांस-मछली की बिक्री पर सख्ती से रोक लगा दी गई है. मुख्यमंत्री ने धार्मिक स्थलों से सौ मीटर के दायरे में मांस-मछली की दुकानों को बंद करने का आदेश दिया है. जिसके बाद से नगर निगम की टीम इस आदेश को लागू करने में जुट गई है. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने साफ संकेत दे दिए हैं कि भ्रष्टाचार मुक्त और सुशासन उनकी प्राथमिकता है. उन्होंने अधिकारियों को साफ कह दिया है कि इस मामले में लापरवाही सहन नहीं की जाएगी. इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी वाली योजनाओं और भारतीय जनता पार्टी के संकल्प पत्र को पूरा करने का निर्देश भी अधिकारियों को दिया है.
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के मोहन यादव को बतौर उज्जैन विकास प्राधिकरण अध्यक्ष, उज्जैन में विक्रमादित्य पीठ, वेदशाला और तारामंडल की स्थापना का श्रेय प्राप्त है. हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा पर हर साल उज्जैन में होने वाले विक्रमोत्सव को भव्य स्वरूप देने में मोहन योदव का अहम योगदान रहा है. यही वजह है मोहन यादव को मुख्यमंत्री पदी की मिली जिम्मेदारी पर उनके परिजनों का कहना है कि भगवान महाकाल ने उन्हें मेहनत का फल दिया है. उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक बने मोहन यादव ने 1984 में एबीवीपी से अपने सियासी करियर की शरुआत की थी. 1986 में वो इसके प्रमुख बने. साल 2003 में उज्जैन की बड़नगर सीट से टिकट मिला, लेकिन कार्यकर्ताओं द्वारा दूसरे उम्मीदवार को टिकट देने की मांग हुई तो पार्टी के आदेश पर टिकट वापस कर दिया. उन्हें उमा भारती का करीबी माना जाता है. उमा भारती सरकार के दौरान ही वो उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष, फिर मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के चेयरमैन बने. उज्जैन दक्षिण से 2013 और 2018 में विधायक बने. 2020 में शिवराज सरकार में उच्च शिक्ष मंत्री का पद मिला. मुख्यमंत्री पद संभालते ही उन्होंने अपने तेवर दिखा दिए हैं.