बीजेपी ही नहीं अब कांग्रेस भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हिंदू की खिलाफत का आरोप लगा रही है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने दावा किया है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हिंदू मतदाताओं को धमकी दे रही हैं और मुस्लिम मतदाताओं को बहका रही हैं. अधीर रंजन का कहना है कि ममता बनर्जी मुसलमानों से कह रही हैं कि दादा यानी अधीर रंजन को वोट नहीं देना, बल्कि भाई यानी यूसुफ पठान को वोट देना. संदेशखाली वाले मामले में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ममता बनर्जी को क्रूरता की रानी करार दे चुके हैं.
पीएम भी ममता पर लगा चुके हैं आरोप
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बंगाल की ममता सरकार ने यहां हिंदुओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर रख दिया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के एक विधायक कहते हैं, हिंदुओं को भागीरथी में बहा देंगे. ये कौन सी भाषा बोल रहे हैं. ये कैसे लोग हैं कि जय श्री राम के नारे से उन्हें आपत्ति है. इन्हें राम मंदिर के निर्माण और रामनवमी की शोभा यात्रा से आपत्ति है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संदेशखाली में दलित महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा था लेकिन ममता बनर्जी आरोपी को बचाने में लगी हुई थीं. उस आरोपी को इसलिए बचा रही थीं क्योंकि उसका नाम शाहजहां शेख है. पूरा देश कार्रवाई की मांग करता रहा, लेकिन ममता उसे बचाती रहीं.
बीजेपी, हमेशा से ममता बनर्जी पर हिंदू विरोधी और अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का आरोप लगाती रही है. बीजेपी का कहना है कि ममता बनर्जी हिंदू विरोधी हैं और बार-बार हिंदुओं की आस्था पर प्रहार करती रहती हैं. पश्चिम बंगाल में जय श्री राम का नारा लगाने वालों को धमकी का वीडियो भी काफी समय पहले सामने आया था. बीजेपी के मुताबिक कई इलाकों में रामनवमी, दुर्गापूजा और सरस्वती पूजा पर रोक लगाई गई है. अगस्त, 2020 में एक बार मुर्शिदाबाद में एक मंदिर पर हमला कर मां काली की मू्र्ति को जला दिया गया था. अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन को लेकर उत्साहित राम भक्तों पर खड़गपुर में लाठियां बरसाई गईं और कई को गिरफ्तार भी कर लिया गया. खुद ममता बनर्जी ने भी कई बार राम नाम से अपनी नफरत का इजहार कर चुकी हैं. साल 2017 में जब लेक टाउन रामनवमी पूजा समिति को रामनवमी की पूजा की इजाजत नहीं दी तो हाईकोर्ट की इजाजत पर पूजा हो सकी. राज्य की तीसरी कक्षा की किताब में पढ़ाए जाने वाले रामधनु का नाम बदलकर रंगधनु कर दिया.
मई 2020 में हुगली के तेलिनीपाड़ा में कई दिनों तक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा होती रही. इस दौरान मालदा में शीतला माता मंदिर में तोड़फोड़ की गई. फरवरी, 2020 में कोलकाता में हुए अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में विश्व हिंदू परिषद कार्यकर्ताओं द्वारा हनुमान चालीसा के वितरण पर रोक लगा दी गई. कहा गया कि इससे पुस्तक मेले में आने वाले लोग भावनाओं में बहक सकते हैं. ममता बनर्जी सरकार ने सरकारी स्कूल में अल्पसंख्यक बच्चों के लिए अलग से मिड डे मील डायनिंग हॉल बनाने का फैसला किया था. सितंबर, 2017 में ममता सरकार ने दशहरे पर शस्त्र पूजन के बाद निकलने वाले जुलूस की इजाजत नहीं थी. जबकि मुहर्रम के जुलूस से उन्हें कोई दिक्कत नहीं रही. 2017 में दार्जिलिंग में एनजीटी के आदेश का हवाला देकर महानंदा नदी में छठ पूजा मनाने पर रोक लगा दी गई थी. यही नहीं आंकड़ें देखें तो साफ है कि ममता के राज में हिंदुओं की संख्या तेजी से घट रही है.
ममता बनर्जी के मुस्लिम प्रेम और हिंदुओं के प्रति नफरत की वजह से ही सितंबर 2017 में कलकत्ता हाईकोर्ट को भी सख्त टिप्पणी करनी पड़ी. कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा था कि – आप दो समुदाय के बीच दरार पैदा क्यों कर रहे हैं. दुर्गा पूजन और मुहर्रम को लेकर राज्य में कभी ऐसी स्थिति नहीं बनी है. आप उन्हें साथ रहने दीजिए. (फोटो क्रेडिट – ममता के फेसबुक पेज से साभार )