पाकिस्तान को कश्मीर के मुद्दे पर सऊदी अरब ने तगड़ा झटका दिया है. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा है कि कश्मीर के मुद्दे को लेकर भारत और पाकिस्तान को मिलकर बात करनी चाहिए. पाकिस्तान में नई सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के लिए किसी झटके से कम नहीं है. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने साझा बयान में कश्मीर के मुद्दे को पाकिस्तान और भारत के बीच द्विपक्षीय बताया. पाकिस्तान के लिए ये बयान किसी झटके से कम नहीं है क्योंकि वो हर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कश्मीर का राग अलापता है जबकि इस मामले में भारत का रुख स्पष्ट रहा है. भारत ने हमेशा कहा है कि पाकिस्तान के साथ वो सभी मुद्दों पर द्विपक्षीय चर्चा के लिए प्रतिबद्ध है.
मोदी सरकार के प्रयासों से सुधरे संबंध
सऊदी अरब को हमेशा पाकिस्तान का मददगार राष्ट्र माना जाता है. वो पाकिस्तान को अक्सर आर्थिक मदद और डिप्लोमैटिक सपोर्ट भी देता रहा है. ऐसा माना जाता है कि परमाणु परीक्षण में उसने पाकिस्तान की मदद की थी. पाकिस्तान को जब भी भीख मांगने की नौबत आती है तो सबसे पहले वो सऊदी की ओर भागता है. कई बार युनाइटेड नेशन में कश्मीर के मुद्दे पर सऊदी पहले भारत के खिलाफ पाकिस्तान के पक्ष का समर्थन कर चुका है. लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों और सऊदी अरब के साथ सुधरे रिश्ते के बाद अब पहले वाली बात नहीं रही. अब भारत के रिश्ते सऊदी अरब के साथ पाकिस्तान जैसे ही हो गए हैं.
नरेंद्र मोदी सरकार ने खाड़ी देशों के साथ संबंध बेहतर करने के लिए गंभीरता से काम किया. शुरुआती आठ साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएई का 4 बार दौरा किया. वहां के राष्ट्रपति ने प्रोटोकॉल के खिलाफ एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया. फरवरी, 2019 में दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान क्राउन प्रिंस ने प्रधानमंत्री मोदी को अपना बड़ा भाई बताया. दरअसल, गल्फ वॉर के दौरान भारत, सद्दाम हुसैन के साथ नजर आया था. लेकिन मोदी ने खाड़ी देशों के साथ संबंध पर जोर दिया.
ट्रंप के मध्यस्थता प्रस्ताव से हुई थी भारत की फजीहत
याद कीजिए जुलाई, 2019 में उस वक्त के पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ बैठे अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कहा था कि अमेरिका को कश्मीर के मुद्दे पर मध्यस्थ की भूमिका निभानी चाहिए. उन्होंने कहा कि मुझे मध्यस्थ बनकर बहुत खुशी होगी. ट्रंप के इस बयान के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय को सफाई में कहना पड़ा था कि भारत ने ऐसा कोई प्रस्ताव अमेरिकी राष्ट्रपति को नहीं दिया है. (तस्वीर साभार – पीएमओ के फेसबुक पेज से साभार)