अयोध्या सज-धज कर तैयार है. 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर में रामलला विराजमान होंगे. यह दिन धर्म की पुनर्स्थापना के पर्व जैसी अहमियत रखता है. क्योंकि सालों के संघर्ष के बाद अब राममंदिर मूर्त रूप ले रहा है. शायद यही वजह है कि सिर्फ अयोध्या ही नहीं पूरे देश में 22 जनवरी को एक भव्य आयोजन होना है. लोग घरों में ही दीवाली मनाएंगे. 22 जनवरी को होने वाले इस आयोजन के दिन एक लाख करोड़ का बिजनेस होने का अनुमान लगाया जा रहा है.
एक अनुमान के मुताबिक इस दिन देश भर में होने वाले आयोजन से इतने बड़ा कारोबार होने की उम्मीद है. क्योंकि इस दिन पूरे देश में 30 हजार से ज्यादा कार्यक्रम आयोजित होंगे जो प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के मुताबिक इस दौरान शोभा यात्रा, चौकियां, रैली, सभाएं की जाएंगी. जिसमें श्रीराम की तस्वीरों वाली टी-शर्ट, कुर्ते, टोपी, झंडे, होर्डिंग-बैनर और साज-सज्जा की वस्तुओं की मांग काफी होगी. इसलिए इससे जुड़े कारोबार को काफी काम मिलेगा. इसी तरह भगवान राम की तस्वीरों वालों बनारसी साड़ियों की मांग इन दिनों खूब बढ़ गई है. देश ही नहीं विदेशों से भी राममंदिर वाली बनारसी साड़ियों की खूब मांग आ रही है. जिसे महिलाएं 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन पहनेंगी. वैसे ही भगवान राम और उनसे जुड़े प्रतीकों वाली चूड़ियों और कड़ों की खूब मांग इन दिनों बाजार में है. अयोध्या में बन रहे मंदिर के मॉडल की भी खूब मांग हो रही है. जो अयोध्या में ही न्यूजीलैंड से मंगाई गई विशेष लकड़ी से बनाई जा रही हैं.
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स का कहना है कि अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाला प्राण प्रतिष्ठा समारोह न केवल धार्मिक भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है. बल्कि यह आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ाता है. इस तरह लोगों का विश्वास देश की पारंपरिक आर्थिक प्रणाली पर आधारित कई नए कारोबार को बढ़ा रहा है.
16 जनवरी से प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान शुरू
अयोध्या में 16 जनवरी को प्रायश्चित और कर्मकुटी पूजन के साथ प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन की शुरुआत हो जाएगी. 17 जनवरी को रामलला की मूर्ति को मंदिर में प्रवेश कराया जाएगा. फिर रोजाना अधिवासिक अनुष्ठान होगा. जिसके खत्म होने पर 22 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. समारोह के लिए लगातार देश के हर हिस्से से तमाम सामग्री भेजी जा रही हैं. माता सीता के मायके यानी भगवान के ससुराल (नेपाल के जनकपुर और बिहार के सीतामढ़ी) से और भगवान के ननिहाल (दंडकारण्य, रायपुर, छत्तीसगढ़) से भी पूजा समाग्री में जो जिस पक्ष से भेजा जाता है, वो सामान अयोध्या पहुंच रहा है.