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लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को एक और झटका

Anju Pankaj Desk, January 14, 2024January 16, 2024

आज जब राहुल गांधी मणिपुर से कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू कर रहे हैं. तब उनके सबसे करीबी नेताओं में से एक पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया. खबरों के मुताबिक मिलिंद देवड़ा एकनाथ शिंदे के गुट वाली शिवसेना में शामिल हो सकते हैं. इस तरह से मिलिंद ने कांग्रेस से अपने परिवार का 55 साल पुराना रिश्ता खत्म कर दिया. मिलिंद देवड़ा के साथ-साथ असम में अपूर्ब भट्टाचार्य ने कांग्रेस के सचिव पद से इस्तीफा दे दिया. अपूर्ब भट्टाचार्य एक दशक से ज्यादा समय तक कांग्रेस में थे. लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए ये किसी बड़े झटके से कम नहीं है.

कांग्रेस से सब निकल रहे बारी-बारी
इससे पहले राहुल गांधी की पिछली भारत जोड़ो यात्रा शुरू होने से ठीक 11 दिन पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. गुलाम नबी आजाद से पहले साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. उन्हें 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद मध्य प्रदेश में कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला पसंद नहीं आया था. जिसके बाद उन्होंने 28 कांग्रेस विधायकों के साथ कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. जिससे कांग्रेस सरकार गिर गई थी, फिर शिवराज सिंह चौहान ने सरकार बनाई थी. इसी तरह जून 2021 में यूपी में जितिन प्रसाद कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. बाद में इस लिस्ट में आरपीएन सिंह ने भी कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाइन कर ली थी.

परिवारवाद से नहीं उबर पा रही कांग्रेस
बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने देश की राजनीति में परिवारवाद का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था. कांग्रेस परिवारवाद की ब्रांड एंबेसडर पार्टी नजर आती है. ऐसे में बहुत से कांग्रेसी नेता मानते हैं कि कांग्रेस में एक ही परिवार की चलती है और वहां लोकतंत्र नहीं दिखता और निचले स्तर के नेता की तरक्की के चांस बिल्कुल भी कम हैं. जबकि इससे उलट भारतीय जनता पार्टी में जिस तक छोटा नेता मुख्यमंत्री बनाया जाता है. ऐसे में कांग्रेस का आम कार्यकर्ता क्यों किसी जी-जान से काम करेगा. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक इंटरव्यू बताया कि वो एक दीवालों पर पार्टी का पोस्टर लगाने वाले आम कार्यकर्ता थे. लेकिन पार्टी ने उन्हें यहां तक पहुंचाया. लेकिन क्या कांग्रेस हमें ऐसा कोई उदाहरण दिखता है? इससे उलट कांग्रेस में एक परिवार के अलावा उनके आसपास के लोग ही नजर आते हैं. आम कार्यकर्ता रैली की भीड़ जुटाने के अलावा नहीं नजर आता. (तस्वीर – कांग्रेस के फेसबुल वॉल से साभार)

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