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संत मिलन और भगवत्कृपा (धार्मिक कथा )

Anju Pankaj Desk, November 25, 2023November 25, 2023

एक जंगल में एक संत अपनी कुटिया में रहते थे। एक किरात ( शिकारी), जब भी वहाँ से निकलता, संत को प्रणाम ज़रूर करता था। एक दिन किरात संत से बोला – बाबा! मैं तो मृग का शिकार करता हूँ, आप किसका शिकार करने जंगल में बैठे हैं?
संत बोले – श्री कृष्ण का, और फूट फूट कर रोने लगे।
किरात बोला – अरे, बाबा! रोते क्यों हो? मुझे बताओ वह दिखता कैसा है? मैं पकड़ के लाऊंगा उसको।
संत तो सरल हृदय होते ही हैं, उन्होंने भगवान का वह मनोहारी स्वरुप वर्णन कर दिया कि वह सांवला सलोना है, मोर पंख लगाता है, बांसुरी बजाता है।
किरात बोला – बाबा! जब तक आपका शिकार पकड़ नहीं लाता, पानी भी नहीं पियूँगा।
फिर वह एक जगह जाल बिछा कर बैठ गया। 3 दिन बीत गए प्रतीक्षा करते करते, दयालु ठाकुर को दया आ गयी; वह भला दूर ही कहाँ है! बांसुरी बजाते आ गए और खुद ही जाल में फंस गए।
किरात तो उनकी भुवन मोहिनी छवि के जाल में खुद फंस गया और एकटक श्याम सुंदर को निहारते हुए अश्रु बहाने लगा। जब कुछ चेतना हुई तो बाबा का स्मरण आया और जोरों से चिल्लाने लगा शिकार मिल गया, शिकार मिल गया, शिकार मिल गया,और ठाकुरजी की ओर देख कर बोला- अच्छा बच्चू! 3 दिन भूखा प्यासा रखा, अब मिले हो,और मुझ पर जादू कर रहे हो।
श्याम सुंदर उसके भोले पन पर रीझे जा रहे थे एवं मंद मंद मुस्कान लिए उसे देखे जा रहे थे। किरात, कृष्ण को शिकार की भांति अपने कंधे पर डाल कर संत के पास ले आया। बाबा! आपका शिकार लाया हूँ।
बाबा ने जब यह दृश्य देखा तो क्या देखते हैं किरात के कंधे पर श्री कृष्ण हैं और जाल में से मुस्कुरा रहे हैं।
संत के तो होश ही उड़ गए, किरात के चरणों में गिर पड़े। फिर ठाकुर जी से कातर वाणी में बोले –हे नाथ! मैंने बचपन से अब तक इतने प्रयत्न किये, आपको अपना बनाने के लिए घर बार छोड़ा, इतना भजन किया, आप नहीं मिले और इसे 3 दिन में ही मिल गए!
भगवान बोले – इसका तुम्हारे प्रति निश्छल प्रेम व तुम्हारे कहे हुए वचनों पर दृढ़ विश्वास से और इसकी लगन पर मैं रीझ गया और फिर मुझसे इसके समीप आये बिना रहा नहीं गया।
भगवान तो भक्तों के, संतों के अधीन ही होतें हैं। जिस पर संतों की कृपा दृष्टि हो जाये, उसे तत्काल अपनी सुखद शरण प्रदान करतें हैं। किरात तो जानता भी नहीं था कि भगवान कौन हैं, लेकिन संत को रोज़ प्रणाम करता था।

संत प्रणाम और दर्शन का फल यह है कि 3 दिन में ही ठाकुर मिल गए।

यह है संत की संगति का परिणाम!

संत मिलन को जाईये, तजि ममता अभिमान,
ज्यो ज्यो पग आगे बढे, कोटिन्ह यज्ञ समान

Religious Stories भगवान श्री कृष्ण

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