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समाजवादी पार्टी ने सॉफ्ट हिंदुत्व से बनाई दूरी?

Anju Pankaj Desk, January 30, 2024

यूपी में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनावों के लिए 16 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में सबसे ज्यादा जिस उम्मीदवार पर चर्चा हो रही है, वो हैं संभल से डॉ.शफीकुर्रहमान बर्क. सियासी गलियारों में इस नाम को लेकर काफी चर्चा है. सियासी मामलों के जानकार ऐसा मानते हैं कि शफीकुर्रहमान बर्क को टिकट देने का मायने ये है कि समाजवादी पार्टी ने सॉफ्ट हिंदुत्व से दूरी बना ली है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि शफीकुर्रहमान बर्क हमेशा अपने विवादित बयानों से हिंदू-मुस्लिम के बीच दूरी बढ़ाने का काम करते रहे हैं. अब शफीकुर्रहमान बर्क को 94 साल की उम्र में टिकट देकर चुनाव लड़वाने के पीछे समाजवादी पार्टी का मकसद सिर्फ सीट जीतना तो नहीं ही होगा.

जाहिर है, राममंदिर निर्माण के बाद एक बार फिर हिंदुत्व की लहर और उसके पक्ष में माहौल बनता नजर आ रहा है. जिसमें हिंदू मतदाता एकजुट होकर मतदान करेंगे. पिछले दिनों कारसेवकों पर मुलायम सिंह द्वारा फायरिंग करवाने की घटना को दोबारा याद कर जिस तरह नाराजगी आम लोगों में देखने को मिली, उसके बाद रही सही कसर प्राण प्रतिष्ठा में ना जाकर अखिलेश यादव ने पूरी कर दी. अब लोकसभा चुनाव से पहले बने जनमानस को देखते हुए अब अखिलेश को
94 साल के शफीकुर्रहमान बर्क के जरिए अपने कोर वोटर को लुभाने का आखिरी तरीका सूझा हो. अब अखिलेश यादव के लिए शफीकुर्रहमान बर्क चुनाव के दौरान एक-दो जहरीले बयान देंगे और समाजवादी पार्टी उसे भुनाने की कोशिश करेगी.

समाजवादी पार्टी की पहली लिस्ट में शफीकुर्रहमान बर्क अकेले मुस्लिम कैंडिडेट हैं. डॉ.शफीकुर्रहमान बर्क देश के सबसे बुजुर्ग सांसद हैं. अपने विवादित बयानों की वजह से वो कई समाजवादी पार्टी को संकट में भी डालते रहे हैं. उनकी उम्र 94 साल है. इसमें अपने 57 साल के सियासी करियर में 4 बार विधायक और 5 बार सांसद रहे हैं.

22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर उन्होंने कहा था कि – हमारी मस्जिद को ताकत के बल पर खत्म कर दिया गया. मैं अल्लाह से दुआ करूंगा कि जो बाबरी मस्जिद हमसे छीन ली गई है, वो हमें वापस दे दी जाए. शफीकुर्रहमान बर्क वंदे मातरम को इस्लाम के खिलाफ बता चुके हैं. उनका कहना है कि मुस्लिम इसका पालन नहीं कर सकते. यही नहीं, जब अफगानिस्तान दोबारा तालिबान के कब्जे में आया तो उन्होंने इसकी तुलना भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से करते हुए इसे सही बताया था. शफीकुर्रहमान बर्क के इन बयानों के बाद भी अखिलेश को उनसे कोई आपत्ति नहीं है. क्योंकि शफीकुर्रहमान बर्क के बयानों से उनके मतलब सधते हैं.

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