कर्नाटक के मांड्या जिले में गणपति विसर्जन के दौरान जुलूस पर मस्जिद के पास हमले के मामले में 10 एफआईआर दर्ज की गई है और एक इंस्पेक्टर को ड्यूटी में लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया है. इसके अलावा 50 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. 11 सितंबर को जुलूस जैसे ही मस्जिद के पास पहुंचा मुस्लिम समाज के लोगों ने जुलूस निकाल रहे लोगों के साथ बहस शुरू कर दी. थोड़ी ही देर में जुलूस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी गई. जुलूस में शामिल लोगों को हथियार दिखाकर डराया गया. इसके बाद हिंदू समाज के लोगों ने थाने के सामने मूर्ति रखकर न्याय की मांग करने लगे. इस दौरान इलाके में टेंशन बढ़ गई. कुछ जगहों पर आगजनी की छिटपुट घटनाएं भी हुईं. पुलिस सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपियों की पहचान कर रही है.
इलाके में कर्फ्यू
इस बीच फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की टीम ने घटनास्थल का दौरा किया. हालात तनावपूर्ण होने की वजह से इलाके में कर्फ्यू लगा हुआ है. स्कूल-कॉलेज अगले आदेश तक बंद कर दिए गए हैं. इलाके में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है.
बीजेपी ने समिति का गठन किया
उधर बीजेपी ने इस घटना को पत्थर आतंकवाद करार देते हुए एक समिति का गठन कर दिया है. बीजेपी का कहना है कि ऐसी घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ यूपी सरकार की स्टाइल में कार्रवाई करनी चाहिए. केंद्रीय मंत्री एसडी कुमारस्वामी ने हिंसा को लेकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने इसके लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज में एक समुदाय के तुष्टिकरण के कारण ये सब हुआ. उन्होंने कहा कि यह घटना शांति और सिस्टम के खिलाफ है. जब लोग आराम से जुलूस निकाल रहे थे तब पत्थर और चप्पल पहनने की जरूरत क्या थी. वहां पेट्रोल बम फोड़ने और तलवार दिखाने की जरूरत क्या थी.