इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के बाँके बिहारी कॉरिडोर प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। इस प्रोजेक्ट के तहत बाँके बिहारी मंदिर के चारों तरफ एक कॉरिडोर का निर्माण का प्रस्ताव है। वहीं अब इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद इस कॉरिडोर की राह में आने वाले अवैध अतिक्रमण को हटाने का रास्ता भी साफ़ हो गया है।
हालांकि अपने आदेश में हाईकोर्ट ने योगी सरकार से यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि इस प्रोजेक्ट के निर्माण के दौरान किसी भी दर्शनार्थी को कोई दिक्कत न आए।
गौर करने वाली बात ये है कि योगी सरकार बाँके बिहारी कॉरिडोर परियोजना काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की ही तर्ज पर ही बनाने जा रही है। इस काम में आने वाला खर्च सरकार को उठाना पड़ेगा। अनंत शर्मा, मधुमंगल दास और कुछ अन्य पुजारियों ने इस कॉरिडोर को गैर जरूरी बताते हुए योगी सरकार के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने चढ़ावे और चंदे की रकम भी कॉरिडोर में न लगाने की माँग की थी। इस याचिका पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी किया था।
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच में हुई थी। सरकार ने हाईकोर्ट में इस कॉरिडोर को श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जरूरी बताया था।अपनी टिप्पणी में अदालत ने साफ किया कि इसमें कोई शक नहीं है कि मंदिरों और तीर्थस्थलों का उचित प्रबंधन जनता से जुड़े विषय हैं।
अदालत ने धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को देश की धरोहर के समान बताया जहाँ जाने के बाद लोगों में अच्छे मनोभाव पैदा होते हैं। फैसले के दौरान अदालत ने यह भी कहा कि किसी की आपत्ति के चलते मानव जीवन को प्रभावित नहीं किया जा सकता है।
इस मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी, 2024 को होगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कॉरिडोर के निर्माण में टेक्निकल एक्सपर्ट की मदद लेने की भी सलाह दी।