पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद आरिफ (अशफाक) की दया याचिका राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने खारिज कर दी है. उसे दिल्ली के लाल किले पर हमला करने के मामले में फांसी की सजा सुनाई गई थी. इससे पहले नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी पुनर्विचार अर्ची को खारिज करते हुए कहा था कि अशफाक के पक्ष में ऐसी कोई बात नजर नहीं आती है, जिससे उस पर दया की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस हमले को सीधे तौर पर देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता पर हमला माना था.
हमले के 4 दिन बाद पकड़ा गया था अशफाक
लाल किले पर हमला करने वाले तीन आतंकी अबू शाद, अबू बिलाल और अबू हैदर को सुरक्षा बलों ने मार गिराया था. लेकिन पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद आरिफ को हमले के चार दिन बाद दिल्ली के जामिया नगर इलाके से पकड़ा जा सका था. ये सभी आतंकी लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य थे. अक्टूबर 2005 में ट्रायल कोर्ट ने अशफाक को फांसी की सजा सुनाई थी. बाद में दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी ये सजा बरकरार रखी थी. इसके बाद नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी रिव्यू पिटीशन भी खारिज कर दी.
24 साल पहले जब लाल किले पर चली गोलियां
करीब 24 साल पहले, 22 दिसंबर, साल 2000 को आतंकियों ने लाल किले पर तैनात राजपुताना रायफल्स के जवानों पर हमला कर दिया था. जिसमें तीन जवान शहीद हो गए थे. इस हमले की साजिश श्रीनगर में रची गई. आरिफ के साथ लश्कर के तीन आतंकी भी इस साजिश में शामिल थे. रात करीब नौ बजकर पांच मिनट पर अचानक आतंकियों ने गोलियां चलानी शुरू कर दी. लाल किले के अंदर से आ रही गोलियों की आवाज से पूरी दिल्ली में दहशत फैल गई. जांच के दौरान पुलिस को एक पर्ची मिली. जिससे इस केस को सुलझाने में बहुत मदद मिली. इस पर्ची में एक मोबाइल नंबर था. इसी मोबाइल नंबर की मदद से पुलिस अशफाक तक पहुंची. ( तस्वीर Red Fort India फेसबुक पेज से साभार)