मध्य प्रदेश के विदिशा में बीजामंडल विवाद में AIMIM प्रमुख असद्दुीन ओवैसी भी कूद गए हैं. उन्होंने विवाद के बाद विदिशा कलेक्टर के ट्रांसफर पर सवाल उठाए. सोशल मीडिया साइट एक्स पर उन्होंने लिखा कि – मध्य प्रदेश में संघ के संगठनों ने मस्जिद में प्रार्थना की इजाजत मांगी थी. जिला कलेक्टर ने इस स्ट्रक्चर को एएसआई गजट में मस्जिद होना बताते हुए इजाजत देने से इनकार कर दिया. जिसके बाद कानून का पालन करने पर कलेक्टर का तबादला कर दिया गया.
विवाद की शुरुआत तब हुई जब हिंदू संगठनों ने नागपंचमी के मौके पर बीजामंडल में पूजा करने की इजाजत मांगी. लेकिन इजाजत नहीं मिली. इस पर हिंदू संगठनों ने कहा कि वो यहां ढांचे के बाहर पिछले तीस साल से नागपंचमी पर पूजा करते आ रहे हैं. लेकिन किसी ने इसे मस्जिद नहीं कहा. लेकिन आज इसे मस्जिद बताए जाने से हमारी भावनाएं आहत हुई है.
ग्यारहवी सदी में बने इस मंदिर पर मुस्लिम शासकों ने कई बार आक्रमण किया. औरंगजेब ने तो इस मंदिर को तोपों से उड़वा कर यहां मस्जिद बनवा दी थी. लेकिन साल 1947 में हिंदू महासभा के आंदोलन शुरू करने के बाद 1965 में प्रदेश सरकार ने यहां नमाज पढ़ने पर रोक लगाते हुए मुस्लिम समाज को अलग जगह दे दी. साल 1991 में भारी बारिश से इसकी दीवार गिरने के बाद कई मूर्तियां बाहर आ गईं. इसके बाद करीब तीन साल तक पुरातत्व विभाग की खुदाई के बाद यहां मंदिर होने के साक्ष्य मिले. फिलहाल यह जगह पुरातत्व विभाग की संपत्ति है.