राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव नतीजों में कई संकेत और संदेश छिपे हैं. जिन पर बात की जानी चाहिए. इससे संकेत ये मिला है कि 2024 के लोकसभा चुनाव का नतीजा क्या हो सकता है और उस चुनाव में मुद्दे क्या होंगे. वहीं, अगर इस चुनाव से मिले संदेश की बात करें तो इस नतीजे ने विपक्ष को एक खास संदेश दे दिया है. जाहिर है, ये संदेश है – सनातन धर्म के अपमान की सजा मिलने का है, जो आम हिंदू जनमानस ने विपक्ष को खासकर कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को दिया है. याद कीजिए – तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और वहां के मंत्री उदयनिधि की सनातन धर्म पर की गई टिप्पणी. जिसमें उन्होंने कई सामाजिक बुराइयों के लिए सनातन धर्म को जिम्मेदार ठहराते हुए इसे समाज से खत्म करने की बात कही थी.
उदयनिधि स्टालिन ने अपने बड़बोलेपन में कहा था कि – हम जिस तरह मच्छर, डेंगू, मलेरिया और कोरोना को समाप्त करते हैं. उसी तरह केवल सनातन धर्म का विरोध करना ही काफी नहीं है. इसे समाज से पूर्ण रूप से समाप्त किया जाना चाहिए. उदयनिधि यहीं नहीं रुके उन्होंने ये तक कह डाला कि सनातन धर्म की वजह से समाज के कुछ लोग मुश्किलें झेल रहे हैं. इस बयान पर भले ही कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने किनारा कर लिया हो. लेकिन उदयनिधि स्टालिन की पार्टी डीएमके उसी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. जिसमें कांग्रेस भी शामिल है. जिस कांग्रेस को उदयनिधि के बयान की आलोचना करनी चाहिए थी, उसने सिर्फ एक बयान जारी कर खुद को इस बयान से अलग कर लिया.
लेकिन क्या उदयनिधि के इस अपमानजनक बयान के बाद बात खत्म हो जानी चाहिए थी. क्या इस बयान से कांग्रेस के किनारा कर लेने मात्र से बात खत्म हो जानी चाहिए. क्या इस बयान की तीखी आलोचना होने पर भी उदयनिधि जिस बेशर्मी से अपने बयान पर कायम रहे, कांग्रेस को उससे नाता तोड़ नहीं लेना चाहिए था.
जाहिर है कांग्रेस को सनातन धर्म और हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं की फिक्र नहीं है. कहने की जरूरत भी नहीं कि उन्हें किनकी फिक्र ज्यादा है. हिंदू को कब तक सांप्रदायिक सौहर्द बनाए रखने की घूंटी पिला कर यूं ही ठगा जाता रहेगा. कहने की जरूरत नहीं कि हिंदुओं को छला नहीं जा सकता. कांग्रेस समेत उसकी चौकड़ी के सभी दल अब एक्सपोज हो चुके हैं. ऐसे में मतदाता ने अपना फैसला इन चुनावों में सुना दिया. कम से कम उत्तर भारत के तीन राज्यों में सनातन का अपमान करने वालों को सबक जरूर मिला है. वो भले ही इसे सबक की तरह ना लें.
बात अगर उदयनिधि स्टालिन की करें तो वो करुणनिधि के तीसरे बेटे एमके स्टालिन के बेटे हैं. इस परिवार की परंपरा ही हिंदू धर्म का अपमान करने की रही है. द्रविड़ आंदोलन से जुड़े होने के कारण वो हिंदू जाति व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष कर अपना सियासी जीवन आगे बढ़ाया. ऐसा दावा किया जाता है कि उन्होंने एक बार कहा था कि हिंदू कौन हैं, क्या हिंदुओं का कोई धर्म है, अगर आप कुछ राइट विंग के लोगों से पूछेंगे तो वो कहेंगे कि हिंदू का असली मतलब चोर है. हिंदुओं के लिए ऐसे बयान देने वाले लोग सनातन धर्म की विशालता का अंदाजा नहीं लगा सकते. ऐसे लोग इतिहास में खारिज कर दिए जाते हैं. यही इस चुनाव में हुआ है. जिन्होंने उदयनिधि के बयान पर खामोशी ओढ़ ली उन्हें जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया.
(तस्वीर – उदय निधि के फेसबुक पेज से साभार)