22 जनवरी को श्रीराममंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. मंदिर के पहले तल का कार्य पूरा हो चुका है. जिसमें मंदिर का गर्भगृह भी बनकर तैयार है. इस बीच मंदिर के गर्भगृह की पहली झलक सामने आई है. गर्भगृह वो जगह है जहां रामलला विराजमान होंगे. यहां लाइटिंग और फिटिंग का काम पूरा हो चुका है. इसकी दीवारों और गुंबद पर खूबसूरत नक्काशी की गई है. जो यहां आने वाले श्रद्धालुओं को एक अलग ही एहसास कराएगी. मंदिर के गर्भगृह में स्थापित करने के लिए रामलला की मूर्ति 15 दिसंबर तक तैयार हो जाएगी. रामलला की तीन मूर्ति बनवाई गई हैं. इन्हीं में से एक मूर्ति को चुनकर इसी गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा.
अस्थाई मंदिर में रामलला अपने तीनों भाइयों के साथ विराजमान हैं. इसलिए नई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद, नई मूर्ति के सामने स्वर्ण का सिंहासन होगा, जहां भगवान राम और उनके भाइयों की चल मूर्ति रखी जाएगी. क्योंकि रामजन्म भूमि का केस अदालत में इसी मूर्ति ने लड़ा है और अदालत ने भी मंदिर की भूमि का असली हकदार उन्हें ही माना है. इसलिए मंदिर में उनकी मूर्ति इस सिंहासन पर रखी जाएगी. गर्भगृह में भगवान बाल रूप में होंगे, जिससे भक्तों को दर्शन में दिक्कत ना हो, इसके लिए भगवान की बड़ी मूर्ति बनाई गई है.
गर्भगृह की भव्यता की बात करें तो इसे 20 फीट लंबा और 20 फीट चौड़ा बनाया गया है… इसमें मकराना संगमरमर लगाया गया है, ये वही पत्थर से जिसका इस्तेमाल ताज महल में किया गया है. गर्भगृह की दीवारों पर पूरे मंदिर का भार है, इसलिए इसकी दीवार 6 फीट मोटी बनाई गई है. इसकी दीवारों के बाहरी हिस्से में गुलाबी पत्थर लगे हैं. गर्भगृह को कुछ ऐसा डिजाइन किया गया है कि रामनवमी पर सूर्य की किरणें रामलला की मूर्ति पर पड़ेंगी, इससे गर्भगृह का पूरा हिस्सा रोशनी से सराबोर हो जाएगा. मंदिर का गर्भगृह ठीक उसी जगह पर किया गया है. जहां प्रधानमंत्री मोदी ने भूमि पूजन किया था. गर्भगृह का आकार सेमी सिलेंड्रिकल शेप में रखा गया है. ऐसा इसलिए किया गया है कि मंदिर में दर्शन करने आए लोगों का ध्यान सीधे मूर्ति पर जाए ना कि मंदिर की नक्काशी पर.
श्रीराम का ये भव्यमंदिर नागर शैली में बना है. मंदिर 235 फीट चौड़ा, 360 फीट लंबा और 168 फीट ऊंचा होगा. जिसके नींव के लिए तेलंगाना की खदानों के ग्रेनाइड पत्थर का इस्तेमाल किया गया है. मंदिर के सामने वाले हिस्से के सतह के ऊपर बादामी रंग के बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है. जो भरतपुर में बयाना के बंसी पहाड़पुर खनन क्षेत्र से लाया गया है. मंदिर के दरवाजे महाराष्ट्र के चंद्रपुर के सागौन की लकड़ी से बने हैं. बता दें कि गर्भगृह के दरवाजे पर शुद्ध सोने की परत चढ़ाई जाएगी. इसके अलावा 6 करोड़ साल पुरानी शालिग्राम शिला (40 टन के शिलाखंड) को नेपाल की काली गंडक नदी से लाया गया. इसी शिला से रामलला और माता सीता की मूर्ति बनाई गई. मान्यता है कि इस पवित्र पत्थर में भगवान विष्णु का वास होता है.
साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भव्य राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू हो सका. जिसके लिए श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ ट्रस्ट की स्थापना की गई. इसी ट्रस्ट की निगरानी में मंदिर का निर्माण कार्य हो रहा है. अब ये मंदिर बनकर तैयार है. मंदिर के निर्माण के लिए कई स्रोत से पैसा आता है. रामलला के दर्शन के समय दानपात्र या फिर चढ़ावे के रूप में हर महीने एक करोड़ रुपए की राशि आती है. वहीं तीर्थ क्षेत्र के खातों में कभी एक महीने में लाख या फिर कभी किसी महीने में एक करोड़ रुपए जुट जाते हैं. वहीं विदेशी भक्तों के लिए दिल्ली में एक खाता खोला गया है. वहीं पहले मंदिर निर्माण में पहले 2500 कारीगर लगे थे. लेकिन बाद में निर्माण को निश्चित वक्त में पूरा करने के लिए कारीगरों की संख्या एक हजार और बढ़ाई गई थी. फिलहाल भव्य राम मंदिर बनकर तैयार है. अब जल्द ही भक्त सालों के इंतजार के बाद रामलला के दर्शन कर सकेंगे.