हत्या, अपहरण और कई आतंकी घटनाओं में शामिल रहा आतंकवादी यासीन मलिक अब सजा से बचने के लिए गांधीवाद की आड़ ले रहा है. पिछले दिनों उसने अपने संगठन पर लगे बैन को हटाने की मांग करते हुए UAPA को दिए एक हलफनामे में खुद को गांधीवादी बताया है. उसने कहा कि मैंने 30 साल पहले आतंकवाद (सशस्त्र संघर्ष) का रास्ता छोड़ दिया है अब आजाद कश्मीर के लिए गांधीवादी तरीके से लड़ाई लड़ने का फैसला किया है. जबकि सच्चाई ये है कि इस दौरान वो कई राष्ट्र विरोधी एक्टिविटी में शामिल रहा है. बता दें कि आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट-यासीन के मुखिया यासीन मलिक टेरर फंडिंग के मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है.
साल 1990 में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट-यासीन ने आतंकवादियों के साथ मिलकर श्रीनगर के रावलपुरा में भारतीय वायुसेना के 4 कर्मचारियों की हत्या कर दी थी. इस घटना में यासीन मलिक मुख्य शूटर था. टेरर फंडिंग के मामले में मई 2022 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. यासीन मलिक पर जस्टिस नीलकंठ गंजू की हत्या का भी आरोप है. इन लोगों ने उनकी हत्या सिर्फ इसलिए कर दी थी क्योंकि जेकेएलएफ आतंकी मकबूल भट्ट की मौत की सजा सुनाई थी. (तस्वीर – यासीन मलिक फेसबुक पेज से साभार)