मध्यप्रदेश में महाकाल की नगरी उज्जैन में बहुत से तीर्थयात्री (सैलानी) सिर्फ महाकाल के दर्शन के लिए आते हैं. अगर आप भी महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन जाने का प्लान बना रहे हैं तो यहां हरसिद्धि माता मंदिर में मां के दर्शन करना ना भूलें. वैसे तो देश में हरसिद्धि देवी मां कई मंदिर हैं. लेकिन उज्जैन स्थित मां के इस मंदिर का महात्म इसलिए ज्यादा है क्योंकि उज्जैन ही सिर्फ एक ऐसा स्थान है जहां ज्योतिर्लिंग के साथ शक्ति पीठ है. इस जगह को शिव और शक्ति के मिलन के रूप में देखा जाता है. मान्यता है कि जब मां सती के शरीर के टुकड़े गिर रहे थे. तब माता की कोहनी इसी जगह पर गिरी थी. दो हजार साल से ज्यादा पुराना यह मंदिर, महाकाल मंदिर से सिर्फ 500 की दूरी पर स्थित है.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक चण्ड-मुण्ड नाम के जुड़वा राक्षसों को जब कैलाश पर्वत में शिव निवास पर भगवान शिव के नंदी को रोक दिया तो दोनों ने उन पर हमला कर दिया. इस पर भगवान शिव ने मां चण्डी का ध्यान किया. मां चण्डी ने चण्ड-मुण्ड का वध किया. इस पर भगवान शिव ने उन्हें भक्तों का कष्ट हरने के लिए, हर मनोकामना और हर सिद्धि को पूरा करने के लिए इस नाम से महाकाल के जंगल में विराजित होने को कहा. इस वजह से मां का नाम हरसिद्धि पड़ा. ऐसा कहा जाता है कि उज्जैन यानी अवंतिका नगरी के राजा सम्राट विक्रमादित्य मां को खुश करने के लिए हर बारहवें साल अपना सिर काटकर मां को चढ़ाते थे. ऐसा उन्होंने ग्यारह बार किया. लेकिन हर बार उनका सिर वापस धड़ से जुड़ जाता था. लेकिन बारहवीं बार ऐसा नहीं हुआ. इस तरह सम्राट विक्रमादित्य ने 144 साल तक शासन किया. इस मंदिर में दो हजार साल पुराने 51 फीट ऊंचे दीप स्तंभ.
हरसिद्धि माता मंदिर कैसे पहुंचें?
उज्जैन में हरसिद्धि माता के दर्शन के लिए रेलमार्ग और सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच जा सकता है. इसके अलावा आप प्लेन (हवाई जहाज) से भी जा सकते हैं. इसके सबसे नजदीक इंदौर एयरपोर्ट (देवी अहिल्या एयरपोर्ट) है. यह उज्जैन से करीब 60 किलोमीटर दूर है.