राजस्थान में बीजेपी ने भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी है. मुख्यमंत्री पद के लिए भजनलाल का नाम सारी अटकलों और चर्चा में चल रहे नाम के बीच चौंकाने वाला था. वो मुख्यमंत्री पद की रेस में भी नहीं दिख रहे थे. इस वजह से विधायक दल की बैठक में जब उनका नाम सामने आया तो हर कोई हैरान था. जिस तरह से एमपी और छत्तीसगढ़ में हैरान करने वाले नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सामने आए हैं. उससे राजस्थान में भी किसी नए चेहरे को मुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावना पहले से जताई जा रही थी. हालांकि भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाए जाना अचानक लिया फैसला नहीं था. जिस तरह उन्हें बीजेपी के लिए सुरक्षित मानी जा रही जयपुर की सांगानेर सीट से मौजूदा विधायक का टिकट काटकर चुनाव लड़वाया गया था. भजनलाल शर्मा आरएसएस से जुड़े हुए हैं और अमित शाह के करीबी और भरोसमंद माने जाते हैं. उनके पास प्रशासन का तो नहीं संगठन का अनुभव जरूर रहा है.सरपंच के पद से सियासी करियर शुरू करने वाले भजनलाल शर्मा ने राजनीति विज्ञान से MA किया है और विद्यार्थी परिषद से भी जुड़े रहे हैं.
हैरानी की बात ये भी है कि विधायक दल की बैठक से पहले हुए फोटो सेशन में भजनलाल सबसे पीछे वाली लाइन में नजर आ रहे थे. इस वक्त तक किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि हाईकमान, भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाने वाला है. लेकिन जब उनके नाम का एलान हुआ तो भजनलाल शर्मा पिछली लाइन से सबसे आगे आ गए और टीम के कैप्टन भी बन गए.
राजस्थान की तरह छत्तीसगढ़ में तय था सीएम ?
छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय नए मुख्यमंत्री बनेंगे. विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने लोगों से कहा था – आप विष्णुदेव साय को विधायक बना दो, इनको बड़ा आदमी बनाने का काम हम करेंगे. चुनाव नतीजे आने के बाद अमित शाह ने जनता से किया अपना वादा पूरा किया और उन्हें छत्तीसगढ़ की कमान सौंपी गई. कुनकुरी विधानसभा सीट से विधायक विष्णुदेव साय आदिवासी समाज से हैं. किसान परिवार में जन्मे साय, 4 बार सांसद, दो बार विधायक, एक बार केंद्रीय राज्यमंत्री और 3 बार छत्तीसगढ़ बीजेपी अध्यक्ष भी रहे. विष्णुदेव साय, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के करीबी माने जाते हैं. सरपंच के तौर पर अपना सियासी करियर शुरू करने वाले विष्णुदेव साय 1990 से 1998 तक तपकरा विधानसभा सीट से विधायक रहे. 1999, 2004, 2009 और 2014 में रायगढ़ से सांसद रहे विष्णुदेव साय को संगठन का अच्छा अनुभव है.
बाबा महाकाल ने बनाया मुख्यमंत्री
उधर मध्यप्रदेश में बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के मोहन को मुख्यमंत्री पद की कमान दी गई है. बतौर उज्जैन विकास प्राधिकरण अध्यक्ष, उज्जैन में विक्रमादित्य पीठ, वेदशाला और तारामंडल की स्थापना का श्रेय उन्हीं को जाता है. हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा पर हर साल उज्जैन में होने वाले विक्रमोत्सव को भव्य स्वरूप देने में मोहन योदव का अहम योगदान रहा है. यही वजह है मोहन यादव को मिली जिम्मेदारी पर उनके परिजनों का कहना है कि भगवान महाकाल ने उन्हें मेहनत का फल दिया है. उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक बने मोहन यादव ने 1984 में एबीवीपी से अपने सियासी करियर की शरुआत की थी. 1986 में वो इसके प्रमुख बने. साल 2003 में उज्जैन की बड़नगर सीट से टिकट मिला, लेकिन कार्यकर्ताओं द्वारा दूसरे उम्मीदवार को टिकट देने की मांग हुई तो पार्टी के आदेश पर टिकट वापस कर दिया. उन्हें उमा भारती का करीबी माना जाता है. उमा भारती सरकार के दौरान ही वो उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष, फिर मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के चेयरमैन बने. उज्जैन दक्षिण से 2013 और 2018 में विधायक बने. 2020 में शिवराज सरकार में उच्च शिक्ष मंत्री का पद मिला. अब वो एक नई जिम्मेदारी निभाने को तैयार हैं.