असम की हिमंत सरमा सरकार ने प्रदेश के 1281 मदरसों को बंद कर दिया है. राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर इन मदरसों के नाम बदल दिए और इन मदसरों को राज्य शिक्षा बोर्ड के तहत रेग्यूलर स्कूलों ( मिडिल इंग्लिश) में बदल दिया गया है. राज्य सरकार के आदेश के मुताबिक, प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय के तहत 1281 मदरसों का नामकरण तत्काल प्रभाव से एमई (मिडिल इंग्लिश) स्कूल के रूप में जाना जाएगा. बता दें कि इन 1281 मदसरों में सबसे ज्यादा मदरसे असम-बांग्लादेश सीमा पर धुबरी जिले में हैं. इन सीमावर्ती जिलों में बांग्लादेश से बड़ी संख्या में प्रवासी घुसपैठ करते हैं. इसस पहले असम में राज्य सरकार ने 600 मदरसों को बंद किया था.
इससे पहले जनवरी, 2021 में हिमंत सरमा सरकार ने कानून पारित कर असम के सभी सरकारी मदरसों को रेग्यूलर स्कूलों में परिवर्तित करने का फैसला किया था. जिसमें निजी मदरसों के अलावा 731 मदरसे और अरबी कॉलेज थे जो SEBA (माध्यमिक शिक्षा बोर्ड असम), AHSEC (असम उच्चतर माध्यमिक शिक्षा परिषद), राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के अधीन थे. इससे पहले मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पहले कह भी चुके हैं कि नए भारत को मदरसे नहीं चाहिए, उन्हें स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, डॉक्टर और इंजीनियर चाहिए. एक जानकारी के मुताबिक असम में 3000 रजिस्टर्ड और गैर रजिस्टर्ड मदरसे हैं. इनमें वो बंद किए गए 1281 मदरसे भी शामिल हैं.
हिमंत बिस्वा सरमा के मुताबिक उनकी सरकार ने असम में सभी सरकारी और प्रांतीय मदरसों को खत्म करने और उन्हें रेग्यूलर स्कूलों में बदलने की वजह से मदरसे में पढ़ने वाले 3748 छात्र-छात्राओं ने इस साल (2023) में हाई स्कूल की परीक्षा में हिस्सा लिया. असम की हिमंत बिस्वा सरमा लगातार असम में हो रहे बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर सख्ती बरत रही है. असम समझौते के तहत अब तक 30,000 से ज्यादा अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को असम से निकाला जा चुका है.
बता दें कि 15 अगस्त, 1985 को हुए असम समझौते के मुताबिक 25 मार्च 1971 या उसके बाद राज्य में प्रवेश करने वाले किसी भी शख्स को बाहरी माना जाएगा. हिमंत बिस्वा सरमा सरकार ने बांग्लादेश सीमा पर अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए बाड़ लगवाने का काम कराया है.