अमेरिका में अगले साल राष्ट्रपति चुनाव होने हैं. इस बार भारत के चुनावों की तरह यहां भी हिंदू-मुसलमान होना शुरू हो चुका है. चुनाव से ठीक पहले अमेरिका से आ रही खबरों से डेमोक्रेटिक पार्टी या फिर यूं कहें कि जो बाइडेन प्रशासन के हिंदुओं के प्रति नजरिए को लेकर सवाल उठा रहे हैं. खबर ये है कि अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राज्य आयोग (USCIRF) ने बाइडन प्रशासन से भारत को ‘विशेष चिंता वाला देश’ घोषित करने को कहा है. उसका कहना है कि वो भारत के अल्पसंख्यकों की आवाज उठाने और उनकी वकालत करने वालों को विदेशों में टार्गेट किए जाने से चिंतित है.
उनका कहना है कि कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादियों हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के कथित रूप से जुड़े होने और अमेरिका में गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या की साजिश का मामला काफी परेशान करने वाला है. ने धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश विभाग को 2030 की सालाना रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिका, भारत के अधिकारियों के साथ अपनी सक्रिय भागीदारी जारी रखे, जिससे ये सुनिश्चित हो सके कि भारत में अल्पसंख्यक बिना किसी डर के वहां रह सकें, अपनी बात कह सकें. बता दें कि ऐसी सिफारिशें United states commission on international Religoius Freedom (USCIRF) साल 2020 से अमेरिका के विदेश विभाग को कर रहा है. हालांकि अब तक इसे कभी स्वीकार नहीं किया गया है. लेकिन पिछले दिनों जिसे तरह अमेरिकी प्रशासन ने पन्नून के मामले में अपना रवैया दिखाया. उससे हैरानी नहीं होनी चाहिए अगर वो इन सिफारिशों को कोई कार्रवाई करने लगे. क्योंकि कनाडा के साथ भारत के विवाद के बाद अमेरिका अब भारत पर दबाव बनाने को कोशिश में जुटा है.
USCIRF की सिफारिश पर क्यों उठ रहे सवाल ?
अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राज्य आयोग (USCIRF) की इस फिक्र की गंभीरता और सच्चाई पर सवाल भी उठ रहे हैं. सवाल ये कि USCIRF को पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार में हो रहे धार्मिक उत्पीड़न क्यों नहीं दिखते. USCIRF यहां होने वाले धार्मिक उत्पीड़न पर कभी भी गंभीरता से बात नहीं करता दिखता. यही नहीं USCIRF को सलाह देने वालों में राणा अयूब का नाम शामिल है. ये वही राणा अयूब हैं, जो वॉशिंगटन पोस्ट में कॉलम लिखती हैं और मोदी सरकार की आलोचक हैं. जाहिर उन्हें भारत में धार्मिक स्वतंत्रता कैसे नजर आएगी ? इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा USCIRF में 2 कैथोलिक, 2 यहूदी और एक मुस्लिम प्रतिनिधि को शामिल किया गया. लेकिन दुनिया की 15 फीसदी आबादी वाला कोई हिंदू इस वॉचडॉग आयुक्त में शामिल नहीं था.
अमेरिकी हिंदुओं का रुझान किधर ?
हालांकि पिछले कुछ चुनावों में अमेरिका में रह रहे हिंदुओं (भारतवंशियों) का रुझान रिपब्लिक पार्टी (ट्रंप) की ओर ज्यादा रहा है. खुद प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका में ट्रंप को जिताने की अपील की थी. अमेरिका में ये धारणा है कि डेमोक्रेटिक पार्टी हिंदू विरोधी है. अमेरिका में रह रहे 22 लाख से ज्यादा हिंदू चुनाव को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. ऐसे आंकड़े हैं कि पिछले राष्ट्रपति चुनाव में 72 प्रतिशत भारतवंशियों ने डेमोक्रेटिक पार्टी (जो बाइडेन) के पक्ष में मतदान किया था. जबकि ओबामा प्रशासन के दौरान मुस्लिम वोटर्स को लुभाने के हिंदू वोटर्स की नाराजगी को कोई तवज्जो नहीं दी गई थी. अब इस बार के चुनाव से पहले स्थितियां बदल चुकी हैं. क्योंकि इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग से अमेरिका में मुस्लिम मतदाता डेमोक्रेटिक पार्टी (जो बाइडन प्रशासन) से नाराज चल रहा है. ऐसे में डेमोक्रेटिक पार्टी को समझ में तो आ रहा है कि हिंदू वोट उसके लिए अहम हैं. इसके लिए वो हिंदुओं को साधने और हिंदू विरोधी छवि (धारणा) को बदलने की कोशिश भी कर रहे हैं. लेकिन USCIRF की ऐसी सिफारिशें बताने के लिए पर्याप्त हैं कि बाइडेन प्रशासन और डेमोक्रेटिक पार्टी की मंशा कुछ ठीक नहीं है.