महाराष्ट्र के ठाणे जिलें हाजी अब्दुल रहमान मलंग शाह की दरगार का विवाद एक बार फिर उठा है. स्थानीय हिंदुओं का दावा है कि इस दरगाह के नीचे गुरु गोरखनाथ के गुरु और नवनाथों में से एक गुरू मछिंद्रनाथ का मंदिर है. हिंदुओं ने इस दावे के साथ-साथ दरगाह में जांच की मांग दोबारा उठाई है. इस बार उनकी मांग को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उन्हें मसले के हल का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि – वो इस सदियों पुराने इस मंदिर की मुक्ति के लिए प्रतिबद्ध हैं, सीधे शब्दों में कहें तो उन्होंने कहा कि – मैं इसे मु्क्त कराऊंगा. एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि – कुछ बातें हम सार्वजनिक रूप से नहीं कह सकते, लेकिन आम लोगों की भावना मलंगगढ़ मुक्ति की है और इसे पूरा किए बिना यह एकनाथ आराम से नहीं बैठेगा.
बता दें कि इस दरगाह को लेकर पहली बार अठारहवीं शताब्दी में विवाद हुआ था. दरअसल इस दरगाह की देखभाल एक ब्रह्माण द्वारा किया जाता था. दावा किया जाता है कि काशीनाथ पंत केतकर नाम के ब्राह्मण को मराठाओं ने इस जगह का प्रबंधन सौंपा था. इस पर विवाद तब बढ़ा, जब दरगाह में हिंदू द्वारा प्रबंधन देखे जाने पर मुसलमानों ने आपत्ति जताई. तब इस विवाद का समाधान एक लॉटरी के जरिए किया गया. जिसका फैसला हिंदू पक्ष में आया. बाद में शिवसेना नेता आनंद दीघे ( एकनाथ शिंदे के राजनीतिक गुरू) ने भी इस दरगाह में मछिंद्रनाथ का मंदिर होने का दावा करते हुए इस मसले को उठाया. साल 1996 में शिवसैनिकों ने यहां पूजा-पाठ किया. इस जगह पर हिंदू भी पूजा पाठ करने आते हैं. उसकी एक वजह ये भी है कि मलंग शाह को हिंदू भी मानते थे. कई दफे यहां हिंदुओं को पूजा-पाठ से रोकने की घटनाएं भी हुईं.
मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ये दरगाह यमन से आए फकीर अब्दुल रहमान की है, जो बारहवीं शताब्दी में भारत आए थे. यहां उस वक्त राजवंश के राजा नलदेव का शासन था. जिसके अत्याचार से लोग परेशान थे. जब मलंग शाह ब्राह्मणवादी गांव पहुंते तो केतकर परिवार ने उन्हें प्यास लगने पर पानी और रहने के लिए जगह दी. मान्यता है कि उनकी वजह से ही लोगों को राजा के अत्याचार से मुक्ति मिली.