भगवान राम के लिए कांग्रेस के मन में कभी सम्मान नहीं था. श्रीराम को तो कांग्रेस काल्पनिक पात्र मानती है, ऐसा उसकी सरकार ने रामसेतु मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी दे चुकी है. एक बार फिर कांग्रेस ने अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने का न्योता ठुकरा कर साबित कर दिया है. कांग्रेस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्षा सोनिया गांधी और लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित किया गया था. लेकिन लाखों लोग श्रीराम की पूजा करते हैं. धर्म एक निजी मामला है. जबकि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने लंबे समय से राममंदिर को राजनीतिक प्रोजेक्ट बना दिया है.
रामजन्मभूमि मामले में कांग्रेस नेता ने की थी मस्जिद पक्ष की पैरवी
कांग्रेस के इस बयान के बाद उससे पूछा जाना चाहिए कि अगर बीजेपी ने इसे मुद्दा न बनाया होता तो करोड़ों भारतीयों का ये सपना क्या आज पूरा हो पाता. कांग्रेस से ये भी पूछा जाना चाहिए कि क्या आप करोड़ों रामभक्तों के इस स्वप्न को पूरा करने की गारंटी लेते. जबकि सच्चाई ये है कि कांग्रेस पार्टी ने राममंदिर निर्माण में बाधा ही पैदा की. सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि मामले में कांग्रेस नेता मुस्लिम पक्ष की पैरवी करते नजर आ रहे थे. जाहिर है कि कांग्रेस को अपने परंपरागत वोटर (समुदाय विशेष ) की फिक्र ज्यादा है. राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में ना जाकर कांग्रेस अपने इन्हीं मतदाताओं को खुश करना चाहती है. एक तरह से कांग्रेस ने समारोह में नहीं जाने का फैसला कर एक चुनावी दांव खेला है. यहां कांग्रेस से पूछा जाना चाहिए कि क्या वो एक खास वर्ग के मतदाताओं को लुभाने के लिए हिंदू धर्म और भगवान राम के अपमान नहीं कर रही है. जाहिर है देश का मतदाता को सब कुछ दिखता है और वो वोटिंग के वक्त सारे हिसाब करता है.
कारसेवकों को निशाना बना रही कांग्रेस
कांग्रेस ने अपनी हरकतों से साफ कर दिया है कि राममंदिर का बनना उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं है, इसलिए वो शायद अपने कोर वोटर को खुश करने के लिए राममंदिर के दौरान हुई कारसेवा में शामिल कारसेवकों को निशाना बनाने में भी जुट गई है. कर्नाटक के हुबली जिले में में 31 साल पहले के एक मामले में श्रीकांत पुजारी नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया गया. पुलिस का कहना है कि यह गिफ्तारी 5 दिसंबर, 1992 को हुई हिंसा की एक घटना के मामले में की गई है. इस घटना से दो दिन पहले ही कर्नाटक कांग्रेस के नेता और सरकार में मंत्री दशरथैया सुधाकर का बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा कि – पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पुलवामा के आतंकी हमले का फायदा उठाया था, इस बार वो भगवान राम और राममंदिर का इस्तेमाल कर रहे हैं.
कांग्रेस सरकार ने रामसेतु मामले में भगवान राम को काल्पनिक बताया था
ये वही कांग्रेस है जिसके नेतृत्व में यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रामसेतु मामले में अपने हलफनामे में रामायण को मिथकीय कथा बताते हुए कहा था कि रामसेतु के ऐतिहासिक और पुरातात्विक अवशेष होने के कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं. दरअसल कांग्रेस को डर है कि अयोध्या का लौटा वैभव और भव्य मंदिर में रामलला के प्रतिष्ठित होने के बाद उसकी बची-खुची राजनीति भी खत्म हो जाएगी. यानी मंदिर निर्माण की वजह से आगामी लोकसभा चुनाव में उसे अपनी हार नजर आने लगी है. इसलिए वो हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाने से भी नहीं चूक रही है. क्या हिंदूओं को ये नहीं नजर आ रहा होगा कि कांग्रेस राजनीति को नजरअंदाज कर भगवान राम के मंदिर निर्माण में शामिल नहीं हो रही. क्योंकि ये मंदिर बीजेपी सरकार बनवा रही है.