राजस्थान के अजमेर जिले में ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ मस्जिद, भारत में मुस्लिम आक्रमणकारियों के मंदिर तोड़ने की मुहिम का शरुआती उदाहरण है. साल 1192 ईस्वी में मुहम्मद गोरी ने अजमेर के राजा पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद अपने गुलाम सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक को अजमेर के मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया. ऐसा दावा किया जाता है कि यह ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ मस्जिद एक विशाल संस्कृत महाविद्यालय था. जिसका नाम संस्कृत कंठभरन महाविद्यालय था. जिसे अजमेर (अजयमेरु) के क्षत्रिय राजा सम्राट विग्रहराज चौहान (विग्रहराज चतुर्थ – 1158 से 1163 ई.) ने बनवाया था. यह संस्कृत विद्यालय उस वक्त संस्कृत अध्ययन का बड़ा केंद्र था.
तोड़े गए मंदिर के खंडहरों से बनाई गई मस्जिद
जनश्रुतियों के मुताबिक, इस जगह पर अढ़ाई दिन में मस्जिद के नमाज का हिस्सा खड़ा कर दिया गया था. इसलिए इसका नाम ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ पड़ा. इस मस्जिद के लिए तोड़े गए हिंदू और जैन मंदिरों के खंडहरों का इस्तेमाल किया गया. बाद में इसे कुतुबुद्दीन ऐबक के उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने 1213 में मस्जिद पूरी करवाई. हालांकि ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ में यह साफ नहीं है कि मंदिर का मूल हिस्सा और महाविद्यालय का मूल हिस्सा कौन-कौन सा है.
कई इतिहासकारों ने मंदिर होने का दावा किया
इन दावों की पुष्टि कई इतिहास करते हैं. 1871 में ASI के महानिदेशक रहे अलेक्जेंडर कनिंघम ने इस जगह की निरीक्षण कर इसे हिंदू मंदिरों के खंडहरों से बनाया गया बताया था. कनिंघम ने लेफ्टिनेंट कर्नल जेम्स टॉड का हवाला दिया था. टॉड ने इस इमारत को जैन मंदिरों के खंडहरों से बना बताया. इस जगह पर सालों तक कई प्राचीन मूर्तियों बिखरी पड़ी रहीं. 90 के दशक में ASI ने सारी मूर्तियों को एक सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कर दिया. इतिहासकार सीता गोयल ने भी इसे मंदिरों की सामग्री का इस्तेमाल कर बनाई गई मस्जिद बताया. इसके लिए उन्होंने सैयद अहमद खान की किसाब असर-उस-सनदीद का हवाला दिया.
बीजेपी सांसद ने फिर उठाई मांग
समय-समय पर ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ मस्जिद की जांच कराए जाने की मांग उठती रही है. एक बार फिर जयपुर शहर से बीजेपी सांसद रामचरण बोहरा ने ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ का मुद्दा उठाया है. उन्होंने कहा कि ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ से गुलामी की मानसिकता झलकती है. अब इससे मुक्ति पाने के दिन आ गए हैं और अब वो दिन दूर नहीं जब इस जगह से दोहारा संस्कृत के मंत्र गूजेंगे और जल्द ही अजमेर की इस मस्जिद में संस्कृत का पाठ होगा. बोहरा का कहना है कि यहां के मिले शिलालेख में संस्कृत विद्यालय के प्रमाण हैं.