पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में महाराष्ट्र के पालघर जैसी घटना सामने आने पर भारतीय जनता पार्टी ने ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधा है. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि बंगाल में हिंदू होना अपराध है. यहां तुष्टिकरण की राजनीति करके ऐसा माहौल खड़ा कर दिया है. पश्चिम बंगाल में हिंदुओं को जश्न भी नहीं मनाने दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अब यहां हिंदू साधुओं को मारने-पीटने और उनकी हत्या की कोशिश की जा रही है और ममता बनर्जी सरकार खामोश है. बीजेपी का कहना है कि ममता बनर्जी सरकार में शाहजहां शेख जैसे अपराधियों को सरकारी संरक्षण मिलता है और साधु-संतों को पीटा जाता है. उधर अखिल भारत हिंदू महासभा ने भी ममता सरकार पर सवाल उठाते हुए साधुओं पर हमला करने वालों पर कार्रवाई करने की मांग की है.
बता दें कि मकर संक्रांति पर गंगासागर में स्नान के लिए जा रहे 3 साधुओं को भीड़ ने बुरी तरह पीटा. मौके पर पहुंची पुलिस ने मुश्किल से इन साधुओं को भीड़ से बचाया. ये साधु रास्ता भटक गए थे. इन साधुओं ने लड़कियों से रास्ता पूछा तो ये लड़कियां वहां से शोर मचाते हुए भाग गईं. इस पर स्थानीय लोगों ने इन साधुओं को पकड़ कर पीटना शुरू कर दिया.
बीजेपी, हमेशा से ममता बनर्जी पर हिंदू विरोधी और अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का आरोप लगाती रही है. बीजेपी का कहना है कि ममता बनर्जी हिंदू विरोधी हैं और बार-बार हिंदुओं की आस्था पर प्रहार करती रहती हैं. पश्चिम बंगाल में जय श्री राम का नारा लगाने वालों को धमकी का वीडियो भी काफी समय पहले सामने आया था. बीजेपी के मुताबिक कई इलाकों में रामनवमी, दुर्गापूजा और सरस्वती पूजा पर रोक लगाई गई है. अगस्त, 2020 में एक बार मुर्शिदाबाद में एक मंदिर पर हमला कर मां काली की मू्र्ति को जला दिया गया था. अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन को लेकर उत्साहित राम भक्तों पर खड़गपुर में लाठियां बरसाई गईं और कई को गिरफ्तार भी कर लिया गया. खुद ममता बनर्जी ने भी कई बार राम नाम से अपनी नफरत का इजहार कर चुकी हैं. साल 2017 में जब लेक टाउन रामनवमी पूजा समिति को रामनवमी की पूजा की इजाजत नहीं दी तो हाईकोर्ट की इजाजत पर पूजा हो सकी. राज्य की तीसरी कक्षा की किताब में पढ़ाए जाने वाले रामधनु का नाम बदलकर रंगधनु कर दिया.
मई 2020 में हुगली के तेलिनीपाड़ा में कई दिनों तक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा होती रही. इस दौरान मालदा में शीतला माता मंदिर में तोड़फोड़ की गई. फरवरी, 2020 में कोलकाता में हुए अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में विश्व हिंदू परिषद कार्यकर्ताओं द्वारा हनुमान चालीसा के वितरण पर रोक लगा दी गई. कहा गया कि इससे पुस्तक मेले में आने वाले लोग भावनाओं में बहक सकते हैं. ममता बनर्जी सरकार ने सरकारी स्कूल में अल्पसंख्यक बच्चों के लिए अलग से मिड डे मील डायनिंग हॉल बनाने का फैसला किया था. सितंबर, 2017 में ममता सरकार ने दशहरे पर शस्त्र पूजन के बाद निकलने वाले जुलूस की इजाजत नहीं थी. जबकि मुहर्रम के जुलूस से उन्हें कोई दिक्कत नहीं रही. 2017 में दार्जिलिंग में एनजीटी के आदेश का हवाला देकर महानंदा नदी में छठ पूजा मनाने पर रोक लगा दी गई थी. यही नहीं आंकड़ें देखें तो साफ है कि ममता के राज में हिंदुओं की संख्या तेजी से घट रही है.
ममता बनर्जी के मुस्लिम प्रेम और हिंदुओं के प्रति नफरत की वजह से ही सितंबर 2017 में कलकत्ता हाईकोर्ट को भी सख्त टिप्पणी करनी पड़ी. कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा था कि – आप दो समुदाय के बीच दरार पैदा क्यों कर रहे हैं. दुर्गा पूजन और मुहर्रम को लेकर राज्य में कभी ऐसी स्थिति नहीं बनी है. आप उन्हें साथ रहने दीजिए. (फोटो क्रेडिट – ममता के फेसबुक पेज से साभार )