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पाकिस्तान में भी ‘जय श्री राम’

Anju Pankaj Desk, January 15, 2024

पूरे देश को 22 जनवरी का इंतजार है. अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर लोग उत्साहित हैं. जबकि आम लोग इस कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किए गए हैं. लेकिन सभी के उत्साह में कोई कमी नहीं हैं. ऐसा ही एक शख्स पाकिस्तान में भी है उसे भी बाकी भारतीयों की तरह 22 जनवरी का इंतजार है, जब रामलला भव्य राममंदिर में विराजमान होंगे. पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व क्रिकेटर दानिश कनेरिया को भी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का बेसब्री से इंतजार है. उन्होने सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर की है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि हमारे राजा श्रीराम का भव्य मंदिर बनकर तैयार है और अब सिर्फ आठ दिन का इंतजार है. जय जय श्री राम. इस पोस्ट के साथ दानिश ने अपनी एक तस्वीर भी शेयर की है. जिसमें वो एक भगवा झंडा लेकर खड़े हैं.

दानिश कनेरिया, एक पाकिस्तानी होने के बाद भी भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के बड़े फैन हैं…. जिसका इजहार वो अक्सर सोशल मीडिया पर करते रहते हैं. बता दें कि दानिश कनेरिया ने कई दफे पाकिस्तानी क्रिकेट टीम में हुए खुद के साथ अपने व्यवहार का जिक्र करते रहते हैं. उनका कहना है कि उन्हें हिंदू होने की सजा मिली. साल 2013 में उन पर स्पॉट फिक्सिंग के आरोप लगे. इस वजह से पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने उन पर आजीवन बैन लगा दिया. वहीं आरोप से घिरे दूसरे खिलाड़ी तो वापस क्रिकेट खेलने लगे, लेकिन उन्हें हिंदू होने की वजह से इंसाफ नहीं मिला.

दानिश की दिलेरी
ये दानिश कनेरिया की दिलेरी ही है कि पाकिस्तान में रहकर वो ऐसी बात कह रहे हैं. लेकिन पाकिस्तान में जिस तरह की जिंदगी हिंदू जीने को मजबूर हैं. उसमें कनेरिया के लिए इस तरह खुलकर राममंदिर को लेकर अपनी भावनाओं का इजहार करना खतरे से खाली नहीं हैं. बता दें कि पाकिस्तान में हिंदू प्रताड़ना के शिकार होते हैं और मजबूरी में ही वहां रहते हैं. 2017 में पाकिस्तान की जनगणना के मुताबिक वहां 45 लाख हिंदू थे. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 5 प्रतिशत है, जिनमें हिंदू 2.14 प्रतिशत और ईसाइ 1.27 प्रतिशत और अहमदिया 0.09 प्रतिशत (बाकी 96.47 प्रतिशत मुसलमान) हैं. जबकि आजादी के वक्त पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 20 प्रतिशत थी. जाहिर है इस कमी के पीछे हिंसा और जबरन धर्मपरिवर्तन ही है. राजनीतिक हक की बात करें तो पाकिस्तान का हाल बहुत बुरा है. यहां 5 लाख से ज्यादा अहमदिया मुसलमानों को वोट करने का हक नहीं है. क्योंकि उन्हें मुसलमान ही नहीं माना जाता. ऐसे में अल्पसंख्यकों के साथ क्या होता होगा. इसका अंदाजा लगाना आसान है. जबकि पाकिस्तान दावा करता है कि उसके यहां अल्पसंख्यकों को बराबरी का हक मिला हुआ है. मानवाधिकार संगठन तो कहते हैं कि पाकिस्तान का चुनावी सिस्टम ही अल्पसंख्यकों के खिलाफ है.

(तस्वीरें – दानिश कनेरिया के x ट्विटर अकाउंट से साभार )

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