याद कीजिए पिछले साल जनवरी में कांग्रेस नेताओं ने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC)पर आरोप लगाए थे कि ये अडानी के शेयर खरीद रही है. विपक्ष ने आरोप लगाया कि अडानी समूह में पैसा लगाने की वजह से ही भारतीय जीवन बीमा निगम को 100 अरब डॉलर का नुकसान उठान पड़ा है. कांग्रेस का कहना था कि ये सब LIC ने केंद्र सरकार के निर्देश पर किया. कांग्रेस ने यह भी दावा किया था कि LIC का बाजार पूंजीकरण (Market capitalization) करीब 3.6 लाख करोड़ रुपए था. अब ताजा खबर सुन लीजिए. इन आरोपों के करीब 5-6 महीने बाद ही आज LIC के शेयर करीब 43 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं. LIC के शेयर का भाव 17 जनवरी को 918 रुपए तक पहुंच गया है. इस वजह से इसका बाजार पूंजीकरण (Market capitalization)5.6 लाख करोड़ पार कर गया. अब LIC देश की सबसे बड़ी सरकारी कंपनी बन गई है. उसने इस मामले में भारतीय स्टेट बैंक को पछाड़ दिया है. जाहिर है विपक्ष को अपने आरोपों का जवाब मिल गया होगा.
तेलंगाना में अडानी ग्रुप के साथ कांग्रेस सरकार का समझौता
सिर्फ LIC ही नहीं, जिस अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के आधार पर विपक्ष लगातार हमलावर था. उससे अडानी ग्रुप उबर चुका है. उसे क्लीन चिट मिल चुकी है और वो शेयर बाजार में अच्छी कमाई कर रहा है. वहीं तेलंगाना की कांग्रेस सरकार अडानी के साथ समझौते कर रही है. दावोस में चल रही वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के दौरान तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और अडानी ग्रुप के चेयरमैन की मौजूदगी में 12400 करोड़ रुपए के निवेश के समझौते पर दस्तखत किए गए. क्या राहुल गांधी को तेलंगाना की कांग्रेस सरकार के इस फैसले की जानकारी नहीं है. या फिर राहुल गांधी ने तेलंगाना की कांग्रेस सरकार को ऐसा करने से मना क्यों नहीं किया. ऐसे ही राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने भी अडानी ग्रुप के साथ करार किया था. जबकि उनके ही नेता राहुल गांधी अडानी विरोध की माला जपते फिरते हैं. विपक्ष के आरोप पर उस वक्त ही सरकार ने साफ कह दिया था शेयर बाजार में किए गए निवेश में ऊपर-नीचे होता रहता है, लेकिन जितनी बड़ी राशि के नुकसान की बात कही जा रही है. ऐसा कोई नुकसान आम जनता को नहीं हुआ है. साथ ही ग्रुप को दिया गया कर्ज या उसमें किया गया निवेश पूरी तरह सुरक्षित है.
जब 4 बड़ी यूनियन ने कांग्रेस को लताड़ा
बता दें कि कांग्रेस द्वारा इस मुद्दे पर की गई राजनीति से परेशान होकर 4 बड़ी यूनियन ने कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे को खत लिखकर साफ कहा था कि – आप राजनीति करें, लेकिन भारतीय जीवन बीमा निगम को इस मुद्दे में ना घसीटें. यूनियन ने कहा कि इस मुद्दे पर आप संसद में चर्चा करें लेकिन किसी नामी ग्रुप की विश्वसनीयता पर प्रहार ना करें. जाहिर है कि LIC के शेयर बढ़ने की खबर आने के बाद कांग्रेस के पास कुछ भी कहने को बचा नहीं है. वैसे भी आरोप गलत साबित हो रहे हों तो सफाई देने की जरूरत भी नहीं होती है.