22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस जगह से पूजा की, जहां से रावण की लंका के लिए रामसेतु का निर्माण हुआ था. तमिलनाडु में रामेश्वरम स्थित इस जगह को ‘अरिचल मुनाई प्वॉइंट’ के नाम से जाना जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पवित्र जगह पर पूजा अर्चना करने के बाद रामेश्वरम के ही कोदंडारामस्वामी मंदिर में भी दर्शन किए. ऐसी मान्यता है कि इस जगह भगवान राम और विभीषण की मुलाकात हुई थी, जब रावण द्वारा लंका से निकाले जाने के बाद विभीषण, भगवान राम से शरण मांगने आए थे. यहीं भगवान राम ने शरण देने के बाद विभीषण को लंका का राजा घोषित करते हुए उनका राज्याभिषेक किया था. बता दें कि कोदंडारामा का अर्थ होता है धनुषधारी राम.
इससे पहले शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के रामेश्वरम द्वीप पर अंगी तीर्थ समुद्र तट में डुबकी लगाई. इसके बाद उन्होंने भगवान श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में पूजा अर्चना की और मंदिर में आयोजित भजन में भी शामिल हुए. रामेश्वरम द्वीप पर स्थित शिवमंदिर रामायण कालीन है. भगवान राम ने यहां स्वयं शिवलिंग की स्थापना की थी और सीता माता के साथ प्रार्थना की थी. श्री रंगनाथस्वामी मंदिर की बात करें तो इस मंदिर में भगवान विष्णु लेते हुए रूप में पूजे जाते हैं. यहां की मूर्ति और अयोध्या के बीच संबंध का जिक्र वैष्णव धर्मग्रंथों में मिलता है. मान्यता है कि अयोध्या में भगवान विष्णु की जिस मूर्ति को श्रीराम और उनके पूर्वज पूजा करते थे. उस मूर्ति को विभीषण को लंका ले जाने के लिए दी गई थी. जिसे रास्ते में श्रीरंगम में स्थापित कर दिया गया.
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मुख्य यजमान के तौर पर शामिल हो रहे हैं. इसके लिए वह 11 दिनों का अनुष्ठान और यम नियम का पालन कर रहे हैं. साथ ही साथ वो भगवान राम से जुड़े स्थानों के दर्शन भी कर रहे हैं. जिसके तहत प्रधानमंत्री भी जमीन पर कंबल बिछाकर सोते हैं और सिर्फ नारियल पानी ही पी रहे हैं. इसके अलावा इन 11 दिनों के दौरान प्रधानमंत्री ब्रह्म मुहूर्त में 71 मिनट का विशेष जाप भी कर रहे हैं. बता दें कि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री मोदी के हाथों होगी. (Image Source – ANI)