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30 जून से शुरू होगी Kailash Mansarovar Yatra

Anju Pankaj Desk, May 1, 2025May 1, 2025

Kailash Mansarovar Yatra : करीब पांच साल बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा दोबारा शुरू हो रही है. तीर्थ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है. ये रजिस्ट्रेशन 13 मई तक कराया जा सकता है. कोरोना और चीन के साथ सीमा विवाद की वजह से यह यात्रा बाधित थी. अब चीन के साथ सहमति बनने के बाद दोबारा कैलाश मानसरोवर यात्रा होने जा रही है.

पिछले साल दिसंबर में बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांय यी और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच बैठक में छह अहम मुद्दों पर सहमति बनी थी. इससे पहले जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देश के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे.

किन रास्तों से होती है मानसरोवर यात्रा ?
कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए तीन रास्ते हैं. एक सिक्किम, दूसरा नेपाल और तीसरा उत्तराखंड (पिथौरागढ़) के रास्ते से दर्शन के लिए जाया जा सकता है. तीनों ही रास्ते में तीर्थयात्रियों की चीन की सीमा में ही प्रवेश करना है. उत्तराखंड वाला रास्ता बहुत लंबा है. ऐसे में इस नए व्यू प्वाइंट से तीर्थयात्रियों को बहुत सहूलियत होने वाली है. क्योंकि इस यात्रा में तीर्थयात्रियों के काफी पैसे खर्ज हो जाते हैं.

चीन क्यों रोक देता है मानसरोवर यात्रा ?
ऐसा अक्सर होता है कि जब चीन कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा को रोक देता है. वो कभी परमिट कैंसिल कर देता है. वो कभी भी यात्रियों के जत्थे को कहीं भी रोक कर वापस कर देता है. यही नहीं उसके अधिकारी मानसरोवर झील के पास कैंप करने (ठहरने) से भी रोक देते हैं. हालांकि चीनी अधिकारियों का कहना है तीर्थयात्री सरोवर में पूजा पाठ करके गंदा करते हैं.

भारत से भी व्यू प्वाइंट
कैलाश पर्वत और मानसरोवर की यात्रा के लिए भगवान शंकर के भक्तों को अब कम से कम कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए चीन जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इन तीर्थयात्रियों को चीन की अधिकारियों की अकड़ बर्दाश्त करनी पड़ती थी. ये अधिकारी तीर्थयात्रियों से भी रूखा व्यवहार करते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. हम अपनी ही जमीन से पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन कर सकेंगे. क्योंकि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में चीन की सीमा पर नाभीढांग से ऊपर 2 KM ऊंची पहाड़ी से कैलाश पर्वत के दर्शन होते हैं. अभी तक कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए भारत से भक्तों को चीन के कब्जे वाले तिब्बत जाना होता था.

पहले इस व्यू प्वाइंट के बारे में किसी को जानकारी नहीं थी. लेकिन कुछ स्थानीय लोग (व्यास घाटी के रहने वाले रं समुदाय के लोग ) ओल्ड लिपुपास की पहाड़ी के ऊपर जब पहुंचे तो उन्हें यहां से कैलाश पर्वत दिखाई दिया. बात अधिकारियों तक पहुंची तो यहां से कैलाश पर्वत के दर्शन की संभावना तलाशने के लिए टीम भेजी गई. इस टीम को भी कैलाश पर्वत के दर्शन हुए. इसके बाद रिपोर्ट प्रशासन को दी गई. ये व्यू प्वाइंट चीन की सीमा से 20 किलोमीटर दूर है. जबकि यहां से कैलाश पर्वत की हवाई दूरी 50 किलोमीटर. पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी व्यू प्वाइंट से आदि कैलाश के दर्शन किए. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी कहा है कि सरकार ऐसा रास्ता तैयार कर रही है कि तीर्थयात्री एक दिन में धारचूला से कैलाश पर्वत के दर्शन करके लौट सकेंगे.

कैलाश-मानसरोवर यात्रा का महत्व
कैलाश पर्वत को भगवान शिव और माता पार्वती का निवास माना जाता है. हिंदुओं की मान्यता है कि मानसरोवर झील को भगवान ब्रह्मा ने अपने मन में बनाया था. जहां मानसरोवर में स्नान करने सारे पाप धो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. जैन धर्म के मुताबिक उनके गुरु ऋषभनाथ को पर्वत की प्ररिक्रमा के बाद मोझ यहीं मोक्ष मिला था. बौद्ध धर्म के मुताबिक उनके एक गुरु रिनपोचे, जिन्होंने इस इलाके में बौद्ध धर्म को स्थापित किया था, कैलाश पर्वत उनसे भी जुड़ा है. सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने यहीं ध्यान करना सीखा. विज्ञान के मुताबिक कैलाश पर्वत ब्रह्रांड का केंद्र है. (तस्वीर साभार- कैलाश मानसरोवर यात्रा फेसबुक पेज से साभार)

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