ईरान-इजरायल युद्ध के मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार की निष्पक्ष नीति की आलोचना की है. यही नहीं वो खुलकर ईरान के समर्थन में नजर आ रही हैं. द हिंदू अखबार में छपे लेख में सोनिया गांधी ने लिखा कि ईरान भारत का पुराना दोस्त रहा है, ऐसे में भारत की चुप्पी परेशान करने वाली है. उन्होंने ये भी लिखा कि गाजा में हो रही तबाही और ईरान में हो रहे हमलों को लेकर भारत को स्पष्ट, जिम्मेदार और मजबूत आवाज में बोलना चाहिए. सोनिया गांधी ने लिखा कि 1994 में ईरान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ एक प्रस्ताव को रोकने में मदद की थी.
सोनिया के दावे की सच्चाई ?
सोनिया गांधी भले ही ईरान और होसौनी खामेनेई की तरफदारी कर रही हों. लेकिन कश्मीर को लेकर ईरान और उनके नेताओं के बयान कुछ और ही इशारा करते हैं. ईरान ने कई बार कश्मीर के मसले पर अपने रुख में बदलाव किया. ईरान के नेताओं ने कश्मीर को स्वतंत्र क्षेत्र बताने की कोशिश की. उनके द्वारा कहा गया कि हर किसी को यमन, बहरीन और कश्मीर के लोगों का खुलकर सपोर्ट करना चाहिए. जब केंद्र सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया तो होसैनी खामेनेई ने सोशल मीडिया पर लिखा कि हम कश्मीर के मुसलमानों के हालात को लेकर चिंतित हैं. हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार इस इलाके में मुसलमानों पर अत्याचार और दमन रोके.
ईरान के नेताओं के ऐसे बयान देखने और पढ़ने के बाद कोई भी ईमानदार भारतीय ईरान को दोस्त मानने से इनकार कर देगा. ऐसे में तटस्थ रुख में क्या बुराई है. सोनिया गांधी की सियासी मजबूरी समझी जा सकती है. जिस कांग्रेस की सियासत मुस्लिमों की हितैषी बने रहने में वो भला कर भी क्या सकती है. कांग्रेस ने अपने बात व्यवहार से हमेशा ये बात साबित की है. इसके लिए उसने हिंदुओं की आस्था को भी चोट पहुंचाने से परहेज नहीं किया. रामसेतु मामले में ये तो जगजाहिर हो चुका है. कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल कई ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के नजरिए की पुष्टि कर चुके हैं. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी किताब में इसका खुलासा किया था. ये बात शायद बताने की जरूरत नहीं.
दरअसल 1979 में ईरानी की इस्लामिक क्रांति से भारत के साथ उसके संबंध बहुत अच्छे थे. लेकिन इसके बाद संबंध पहले जैसे नहीं रहे. मोदी सरकार फिलहाल तटस्थ है, लेकिन अगर वो खुलकर इजरायल का समर्थन भी करे तो कोई बुराई नहीं है. क्योंकि ईरान हमारे लिए वो नहीं कर सकता जो इजरायल करता है. इजरायल के साथ हमारा दिवपक्षीय संबंध ज्यादा अहमियत रखता है. क्योंकि वो हमारा अहम रक्षा साझेदार है. वो हमेशा रक्षा के मामलों में खुलकर हमारी मदद करता रहा है. इस तरह वो वो ईरान से बढ़कर हमारा गहरा दोस्त है. (तस्वीर – सोनिया गांधी फेसबुक पेज से साभार)