साल 1990 में कश्मीरी पंडित नर्स सरला भट्ट के गैंगरेप और नृशंस हत्या के मामले में SIA ने 9 ठिकानों पर छापा मारा है. जम्मू कश्मीर और प्रदेश जांच एजेंसी (SIA) ने इस केस में 35 साल बाद जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के पूर्व प्रमुख यासीन मलिक के घर पर छापा मारा. दरअसल 14 अप्रैल, 1990 जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के आतंकियों ने सरला भट्ट को उनके अस्पताल के छात्रावास से किडनैप कर लिया था. आतंकियों ने इनके साथ अनजान जगह पर चार दिन से गैंगरेप किया उनकी दरिंदगी यहीं खत्म नहीं हुई. इसके बाद इन आतंकियों ने उनकी बेरहमी से हत्या कर दी.
इसके बाद 19 अप्रैल को श्रीनगर के डाउनटाउन में गोलियों से छलनी और शरीर पर बेरहमी के निशान के साथ उनका शव मिला. आतंकियों ने उनके शव के पास एक छोटा सा कागज छोड़ा था. जिसमें सरला को पुलिस का मुखबिर बताया था. ये दरिंदगी यहीं खत्म नहीं हुई. जब सरला के परिजन उनके शव का अंतिम संस्कार लेने पहुंचे तो आतंकियों ने उनके परिजनों पर बम से हमला किया. यही नहीं उनके घर में आग भी लगा दी. मजबूर परिजनों ने कश्मीर छोड़ दिया. इसके बाद से वो आज तक इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं.
बता दें कि 90 के दशक का ये वो दौर था. जब कश्मीर घाटी में मस्जिदों से हिंदुओं को घाटी छोड़ने की धमकी दी जाती थीं. उनसे कहा जाता था – रालिव, गालिव या चालिव, इसका मतलब ये कि धर्म परिवर्तन करो, भाग जाओ या मरने के लिए तैयार हो जाओ. ऐसी धमकी भरे पोस्टर हिंदुओं के घरों के बाहर चिपकाए जाते थे. इसी धमकी के तहत अनंतनाग की सरला भट्ट जो श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS) में नर्स के रूप में काम करती थीं.
उन्हें नौकरी छोड़ने की धमकी दी गई. लेकिन बहादुर सरला ने ऐसा नहीं किया तो उन दरिंदों ने उन्हें अगवा किया और कई दिनों तक उसके साथ दरिंदगी करते रहे. इस दौरान उनका परिवार उनकी तलाश में तड़पता रहा. ऐसा ही एक केस गिरिजा टिक्कू का है. जिनके साथ रेप के बाद आतंकियों ने हत्या कर दी थी. आतंकियों ने उन्हें लकड़ी काटने की मशीन से जिंदा काट डाला था.