राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि रावण से दुनिया त्रस्त थी, राम नहीं होते तो क्या होता. शिवाजी नहीं होते तो क्या होगा. इसलिए दूसरों को ठेका देना सही नहीं, देश हम सब की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि हमें पूरे समाज को संगठित करना है, संघ के मन में एक बात है कि अगर यह लिखा जाता है कि संघ के कारण देश बचा तो ऐसा नहीं है. हम ऐसा नहीं करना चाहते. उन्होंने कहा कि विविधता में भी एकता है और विविधता एकता का ही नतीजा है.
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सौ साल पूरे होने पर हुए कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा कि कुछ लोग जानते हैं, लेकिन खुद को हिंदू नहीं मानते. जबकि कुछ अन्य इसे नहीं जानते. दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित RSS की 100 वर्ष यात्रा- नए क्षितिज पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम की विषयवस्तु भौगोलिक नहीं है. बल्कि भारत माता के प्रति समर्पण और पूर्वजों की परंपरा है, जो सभी के समान है. हमारा DNA भी एक है. हम एकता के लिए एकरूपता को जरूरी नहीं मानते. विविधता, एकता ही परिणाम है. (तस्वीर – राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ फेसबुक पेज से साभार)