अब किसी बुल्डोजर को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अगर हम पर अटैक होता है तो हम उसको जाने से मार देंगें. अपनी हिफाजत हम खुद करेंगे. हमें कानूनी अधिकार है. ये भड़काऊ बयान है मौलाना तौकीर रजा खान का जिसके बयान के बाद यूपी के बरेली में अलर्ट जारी करना पड़ा. बरेली में तौकीर रजा ने जेल भरो आंदोलन और सामूहिक गिरफ्तारी का आह्वान किया था. जिसके बाद बड़ी संख्या लोग सड़कों पर उतर आए.
प्रदर्शन के दौरान तौकीर रजा और पुलिस अधिकारियों के बीच जमकर बहस भी हुई. उधर उनके समर्थकों ने नारेबाजी, पथराव और तोड़फोड़ भी की. इस वजह से डरे व्यापारियों ने बाजार बंद कर दी. कुछ जगहों पर उपद्रवियों ने हिंदू लड़कों से मारपीट भी की. नारेबाजी के दौरान उपद्रवियों ने प्रधानमंत्री और देश की अदालतों के गलत शब्दों का इस्तेमाल किया.
कोर्ट का भी आदेश खारिज!
उधर हल्द्वानी में कोर्ट के आदेश पर अवैध मदरसा और धर्मस्थल गिराने गई पुलिस और प्रशासन की टीम पर भीषण हमला हुआ. चारों ओर से इस टीम पर पत्थरों से हमला हुआ. तीन ओर से घिरी टीम मुश्किल से जान बचाकर भागी. इसके बाद भी हमलावर नहीं माने और थाने पर हमला कर दिया.
हिंसक उपद्रवियों ने जेसीबी तोड़ दी और 70 से ज्यादा वाहनों में आग लगा दी. हिंसा के दौरान पेट्रोल बम से भी हमला हुआ. जान लेने पर उतारू भीड़ ने पत्रकारों को भी नहीं छोड़ा. इस हिंसा में अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी और निगमकर्मी घायल हैं. फिलहाल एहतियातन हल्द्वानी शहर में कर्फ्यू लगाने के आदेश दे दिए गए हैं.
कब तक पत्थर खाता रहेगा सिस्टम ?
अब सवाल उठता है कि एक तो अवैध निर्माण, ऊपर से कोर्ट के आदेश पर उसे हटाने की कोशिश होती है तो पेट्रोल बम और पत्थर से हमला किया जाता है. हमला ऐसा कि तीन तरफ से पत्थरों की बारिश होती है. आखिर क्या संदेश दिया जा रहा है कि हम गलत करने के लिए स्वतंत्र हैं और कानून को भी खामोश होकर देखना होगा. कोर्ट का आदेश भी अवैध निर्माण नहीं गिरा सकता. शायद यही बात बरेली में तौकीर रजा भी कहना चाहते हैं.
देश की अदालतों जिन्हें तौकीर के समर्थकों ने आज अपशब्द कहे हैं. उन अदालतों और प्रशासनिक व्यवस्था को भी इन सवालों के जवाब तलाशने होंगे. क्योंकि उन्हें समाज को जवाब देना होगा कि ऐसे मामलों में जब किसी ने व्यवस्था या सिस्टम को खारिज किया तो आपने व्यवस्था बहाल करने के लिए क्या किया? (तस्वीर साभार – NBT)