I Love Mohammed controversy – आई लव मोहम्मद के पोस्टर को लेकर पहला विरोध जताने वाले कानपुर के मोहित वाजपेयी ने सम्मानित न्यूज पेपर दैनिक भास्कर से खास बातचीत में इस विरोध को लेकर कहा कि पहले उनके इलाके में ऐसे साइन बोर्ड और पोस्टर नहीं लगते थे. इस बार बारावफात पर नई परंपरा शुरू की गई इसलिए उन्होंने इसका विरोध किया. उनका कहना है कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसी त्यौहार में नई परंपरा शुरू नहीं होने का निर्देश दिया है. इसलिए उन्होंने इसका विरोध किया.
मोहित वाजपेयी ने अपने इलाके को लेकर जो बातें दैनिक भास्कर को बताईं वो अब देश के तमाम इलाकों में हो रही हैं. हम कितनी खतरनाक स्थिति की ओर बढ़ रहे इसका अंदाजा मोहित वाजपेयी की बातों से लगाया जा सकता है. उन्होंने दैनिक भास्कर को बताया कि – जब वो पैदा हुए थे तब उनका इलाका जनता नगर था. बाद में ये इलाका सैय्यद नगर हो गया. मुस्लिम तुष्टिकरण वाली सरकारें आती रहीं और नाम बदल गया.
मोहित वाजपेयी ने दैनिक भास्कर को बताया कि साल 2009 में सैय्यद नगर में डबल मर्डर हुआ. एक लड़की को गैंगरेप के बाद बिना कपड़ों के छोड़ दिया दिया गया. उस अबला ने सुसाइड कर लिया. इसी जगह रामनवमी की शोभा यात्रा के दौरान बारावफात का जुलूस जानबूझ कर नए रास्ते से निकाला गया. जिधर हिंदुओं की आबादी थी. इसके बाद हंगामा हुआ. मोहित ने कहा कि मुस्लिमों ने विस्तारवादी योजना के तहर काम किया है. ऐसा न करते तो वह छप्पन-सत्तावन देशों में ना होते. जब से मैंने होश संभाला है तब से यही देख रहा हूं कि मेरे इलाके में हिंदुओं के साथ गलत हो रहा है. वो हमें कहते हैं कि इस इलाके में कोई भगवा झंडा नहीं होने चाहिए. (ये खबर साभार – दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के आधार पर लिखी गई है)