उत्तराखंड के हल्द्वानी के बाद अब बिहार के दरभंगा में बसंत पंचमी के बाद मूर्ति विसर्जन के दौरान पथराव की घटना हुई. अचानक हुए इस पथराव में कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए. इन जख्मी लोगों में कई पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. खबरों के मुताबिक मूर्ति विसर्जन के दौरान मूर्ति तोड़ने को लेकर विवाद शुरू हुआ.
दावा किया जा रहा है कि समुदाय विशेष के लोगों ने पहले से हिंसा की साजिश रची हुई थी. इसके लिए बकायदे व्हाट्सग्रुप ग्रुप बनाकर प्लानिंग की गई थी. इस बात का खुलासा जांच के दौरान पुलिस द्वारा जब्त किए गए मोबाइलों से हुआ. साजिश के तहत मूर्ति विसर्जन के दौरान जुलूस को रोककर पत्थरबाजी की गई. अचानक हुए हमले में लोग मूर्ति छोड़कर भाग गए. जिसके बाद उपद्रवियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा को तोड़ दिया. जिसके बाद लोग भड़क गए.पुलिस का कहना है कि मूर्ति विसर्जन यात्रा किसी मस्जिद के पास से भी नहीं गुजर रही थीं, फिर भी उस पर हमला किया गया.
फिलहाल पुलिस ने इस मामले में 13 लोगों को हिरासत में लिया है और 100 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. बता दें कि पिछले साल 23 जुलाई को मुहर्रम की तैयारी के दौरान भी मंदिर के बाहर विशेष समुदाय का झंडा लगाने के बाद विवाद हो गया था.
दरभंगा में हल्द्वानी जैसी साजिश?
8 फरवरी की शाम हल्द्वानी में हुई हिंसा, कुछ-कुछ दरभंगा जैसी ही है. हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में अतिक्रमण हटाने पहुंची पुलिस और प्रशासन की टीम पर समुदाय विशेष के लोगों ने हमला कर दिया. इस दौरान भीड़ इतनी हिंसक हो गई कि टीम के लोगों के जान पर बन आई. इन लोगों को बेदर्दी से मारा गया. भारी पथराव, आगजनी और गोलीबारी के साथ-साथ पेट्रोल बम से भी हमला किया गया.
हल्द्वानी में हुई इस हिंसा में उपद्रवी यहीं नहीं रुके इन लोगों ने थाने को घेरकर उसमें आग लगा दी . इस हिंसा में 7 लोगों की मौत हुई है. कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं. अनुमान है कि इस हिंसा में 2 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का नुकसान हुआ है. हिंसा का मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक अभी तक पुलिस की पकड़ से दूर है. इस बीच पुलिस ने हिंसा में शामिल वांटेड लोगों के पोस्टर जारी किए हैं और इनके ठिकानों पर लगातार दबिश दी जा रही है. (इमेज क्रेडिट – जी-बिहार/झारखंड)