हरी घास के बीच एक सुखी घास का तिनका पड़ा था। उसे देखकर हरी घास उस सूखे तिनके के निष्क्रिय अर्थहीन जीवन पर खिलखिला कर हँस पड़ी और हँसते-हँसते वह उससे कहने लगी, ‘अरे! सूखे रसहीन तिनके, तेरा हम हरे-भरों के बीच में क्या कार्य?’
हरी घास का यह ताना सुनकर सूखे तिनके को अपने रसहीन जीवन पर अफ़सोस होने लगा और वह उदास हो गया। तभी तेज हवा का झोंका आया। हरी घास उसमें झूमने लगी परन्तु सूखा तिनका फुर्र से उड़कर पास में स्थित पानी में जा गिरा। उस पानी में एक चींटी अपनी ज़िन्दगी बचाने के लिए मौत से लड़ रही थी कि अचानक उसके सामने वह सूखा तिनका आ गया।
चींटी फ़ौरन उस तिनके को पकड़कर उस पर बैठ गई। थोड़ी देर में उस तिनके के सहारे वह किनारे पर आ गई। अपनी जान बच जाने पर चींटी ने उस सूखे तिनके को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया। इस पर तिनका बोला- धन्यवाद तो आपका है, जिसने मेरे अर्थहीन जीवन का अर्थ मुझे समझा दिया।
God has perfect timing
Never early, never late. It takes a little patience and a whole lot of faith, But Its worth to wait.
दुनियां भले कुछ भी कहे लेकिन – उसके घर में न तो देर है और न अंधेर