गौरव वल्लभ, विजेंदर सिंह, अनिल शर्मा ये वो नाम हैं जिन्होंने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. संजय निरुपम भी कांग्रेस को बाय-बाय कर चुके हैं, वो खरमास खत्म होने के बाद नवरात्रि में तय करेंगे उन्हें किस ओर जाना है.
‘सनातन धर्म का अपमान नहीं कर सकता’
कांग्रेस में करीब 10 साल से प्रवक्ता रहे गौरव वल्लभ का कहना है कि राममंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह कार्यक्रम का न्यौता कांग्रेस द्वारा ठुकराए जाने से वो दुखी हैं. उन्होंने कहा कि वो दिन भर वेल्थ क्रिएटर्स की आलोचना नहीं कर सकते और न ही कांग्रेस की तरह लगातार सनातन धर्म का अपमान कर सकते हैं. गौरव वल्लभ का कहना है कि वो अपनी क्षमता का सदुपयोग भारत जैसे महान देश को आगे ले जाने के लिए करना चाहते हैं. यही वजह उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का निर्णय लिया है.
‘सोनिया-खरगे का नजरिया घोर सांप्रदायिक’
बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे दोनों ही नेता घोर सांप्रदायिक नजरिया रखते हैं. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्यौता ठुकरा देते हैं, लेकिन ईसाई धर्म के कार्यक्रम के लिए पार्टी के लिए दो बड़े नेताओं को इटली भेजती हैं.
‘रामलला के विरोध में वामपंथी राह पर कांग्रेस’
कांग्रेस छोड़ने के बाद संजय निरुपम ने कहा कि सेक्युलरिज्म में धर्म का विरोध नहीं, सर्व धर्म सद्भाव होना चाहिए. मगर कांग्रेस ने नेहरूवियन सेक्युलरिज्म के विचार को अपनाया. वामपंथी रामलला का सीधा विरोध करेंगे. अब कांग्रेस भी वामपंथियों की राह पर चल पड़ी है. इसलिए प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का कांग्रेस ने सीधे तौर पर विरोध किया. संजय निरुपम ने कहा कि देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अभी भी चरम पर है और लगातार बढ़ रही है.
क्यों बदला विजेंदर का मन?
2019 के लोकसभा चुनाव में साउथ दिल्ली सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले विजेंदर सिंह ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया है. उनका कहना है कि जिस तरह देश-विदेश में खिलाड़ियों का मान-सम्मान बढ़ा है. खिलाड़ी उसके लिए बहुत धन्यवाद करते हैं. मैं चाहता हूं कि इस सरकार में रहकर खिलाड़ियों के लिए ज्यादा से ज्यादा काम कर सकूं. (तस्वीर साभार- गौरव वल्लभ के फेसबुक अकाउंट से)