मुख्तार अंसारी की मौत के बाद ओवैसी समेत तमाम नेताओं की तरह अखिलेश यादव भी घड़ियाली आंसू बहाने गए और उसकी मौत पर सवाल उठाए. अखिलेश ने मुख्तार के परिजनों से मिलने के बाद बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा. लेकिन इसके बाद वो सवालों के घेरे में आ गए. अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी के परिजनों के साथ की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. इस तस्वीर के साथ उन्होंने लिखा कि वक्त देता है दिलासा देकर हाथों में हाथ. यकीन रखो ऊपरवाला ही देगा इंसाफ. अखिलेश के इस पोस्ट के बाद मुख्तार के बेटे अब्बास का पुराना वीडियो पोस्ट किया जाने लगा. जिसमें अब्बास कहते नजर आ रहे हैं कि जो बाप का नहीं हुआ, वो आपका क्या होगा.
अखिलेश को नहीं दिखता मुख्तार का गुनाह
अखिलेश यादव ने कहा कि मुख्तार की जो छवि पेश की गई है वो असल नही है. उनकी मौत पर बड़ी संख्या में लोग जुटे. क्या हम यह नहीं देख सकते कि मुख्तार के साथ भेदभाव हुआ. हम देख सकते हैं कि बीजेपी सरकार पर विदेशी धरती पर हत्या का आरोप लगाया जा रहा है, अब हम उनकी मौत पर सरकार पर आरोप लगा रहे हैं, इसमें गलत क्या है? अखिलेश ने कहा कि मुख्तार ने खुद कहा कि उन्हें जहर दिया जा रहा है और वही बात सामने आई. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि सरकार सच्चाई सामने लाएगी.
‘मसीहा’ मुख्तार अंसारी का महापाप
गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के खिलाफ 61 केस दर्ज थे. इनमें हत्या, हत्या की कोशिश, किडनैप, धोखाधड़ी, आर्म्स, गुंडा और गैंगस्टर एक्ट, CLA एक्ट से लेकर NSA तक शामिल हैं. इन केस में उसे 8 केस में उसे सजा हो चुकी थी. इंटर स्टेट 191 (IS-191) गैंग साल 1997 में वजूद में आया था. मुख्तार उसका सरगना था. ये पूर्वांचल समेत पूरे यूपी में कई गैंग चलाता था. करीब 4 दशक तक उसकी दहशत का साम्राज्य खूब फला-फूला. इसके पीछे राजनीतिक संरक्षण बड़ी वजह थी.
अक्टूबर, 2005 में मऊ में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान भड़के दंगे में गाड़ी के ऊपर बैठकर हथियार लहराने के लिए मुख्तार कुख्यात हुआ. इसी मामले में उसे जेल जाना पड़ा. इसके बाद नवंबर 2005 में पूर्व बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय और 6 अन्य लोगों पर करीब 400 राउंड की फायरिंग कर हत्या के अलावा कई अपराध में मुख्तार शामिल था. मुख्तार को पहली बार सजा 2022 में योगी सरकार में सुनाई गई थी.
जब मुख्तार के लिए आमने-सामने आ गईं दो सरकारें
बांदा जेल में लाए जाने से पहले मुख्तार अंसारी पंजाब की रोपड़ जेल में भी बंद रहा. उसे रंगदारी के मामले में यूपी से ट्रांजिट रिमांड पर पंजाब लाया गया था. 2 साल पंजाब में रहने के बाद भी वो यहां से वापस यूपी नहीं जाना चाहता था. क्योंकि अब यूपी में योगी सरकार आने के बाद प्रदेश की जेलों में मिलने वाली ठाठ-बाठ बंद हो चुकी थी. जबकि पहले मुख्तार और उसकी गैंग जेल से अपना सारा काला कारोबार चलाती थी. ये सुविधाएं बंद होने की वजह से वो पंजाब की जेल में रहना चाहता था. पंजाब की कांग्रेस सरकार ने मुख्तार को बचाने के लिए उस पर ब्लाइंड मर्डर केस भी जोड़ दिया.
इसके बाद यूपी सरकार और पंजाब सरकार मुख्तार के मामले में आमने-सामने आ गईं. इस समय कांग्रेस की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने मुख्तार को बचाने के लिए डॉक्टरों का पैनल बनाया गया और कहा गया कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है. यूपी सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चली गई. जिस पर कोर्ट ने पंजाब सरकार से मुख्तार को यूपी पुलिस को सौंपने को कहा. जिसके बाद अप्रैल 2021 को मुख्तार को बांदा जेल लाया गया.
हैरानी की बात है कि मुख्तार अंसारी के लिए पंजाब सरकार की ओर से वकीों पर 55 लाख रुपए खर्च किए गए. जब इसके भुगतान की फाइल वर्तमान मुख्यमंत्री भगवंत मान के पास पहुंची तो उन्होंने कहा कि मुख्तार अंसारी को पंजाब में रखने से
प्रदेश को कोई लाभ नहीं था. इसलिए वकीलों की फीस सरकारी खजाने से नहीं दी जाएगी. बांदा जेल में उसकी तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद उसे मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. जहां करीब एक घंटे के इलाज के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. डॉक्टरों के मुताबिक उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुई. (तस्वीर साभार – मुख्तार अंसारी के फेसबुक वॉल से साभार)
देखिए मुख्तार अंसारी पर यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह से खास बातचीत. इस यू-ट्यूब लिंक पर क्लिक करें https://www.youtube.com/watch?v=MEk73-Vy7fM&t=5s