विरासत कर यानी संपदा शुल्क (इन्हेरिटेंस टैक्स) को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है. चुनावी माहौल में सैम पित्रोदा का ये बयान कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर रहा है. इसी मुद्दे पर मध्य प्रदेश के मुरैना में एक चुनावी जनसभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और बयान दिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि – जब देश की प्रधानमंत्री इंदिरा जी नहीं रहीं तो उनकी संपत्ति उनकी संतानों को मिलनी थी. लेकिन पहले देश में ऐसा कानून था कि वो उनकी संतानों को संपत्ति मिलने से पहले सरकार एक हिस्सा ले लेती थी. इसलिए उस संपत्ति को बचाने के लिए उस समय के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इन्हेरिटेंस टैक्स लगाने वाले कानून को खत्म कर दिया था.
इन्हेरिटेंस टैक्स का इतिहास
राजीव गांधी सरकार के पहले बजट में ही संपत्ति शुल्क अधिनियम 1953 को खत्म कर दिया गया था. इस समय विश्वनाथ प्रताप सिंह उनकी सरकार में फाइनेंस मिनिस्टर थे. संपत्ति शुल्क अधिनियम एक अप्रैल 1984 को खत्म किया गया. इसके ठीक एक माह बाद 2 मई 1984 को इंदिरा गांधी की वसीयत प्रकाशित की गई. ये टैक्स देश में करीब तीन दशक तक लागू था.
इन्हेरिटेंस टैक्स पर घिरी कांग्रेस
इन्हेरिटेंस टैक्स यानी विरासत टैक्स की वकालत की है इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने. अमेरिका में ये टैक्स मरने वाले शख्स की संपत्ति उसके बच्चों को ट्रांसफर किए जाने के दौरान लगाया जाता है. बीजेपी, विरासत टैक्स पर सैम पित्रोदा के बयान को लेकर कांग्रेस पर निशाना साध रही है.
इन्हेरिटेंस टैक्स यानी विरासत टैक्स पर कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने कहा कि अमेरिका में अगर किसी के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है तो उसके मरने के बाद बच्चों को सिर्फ 45 प्रतिशत संपत्ति ही मिलेगी और बाकी 55 प्रतिशत सरकार ले लेती है. उन्होंने कहा कि भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है. यहां अगर किसी के पास 10 अरब रुपए की संपत्ति है तो मरने के बाद उसके बच्चों को सारी संपत्ति मिल जाती है, पब्लिक के लिए कुछ बचता नहीं है. (तस्वीर – नरेंद्र मोदी फेसबुक पेज से साभार)