तमिलनाडु में एम करुणानिधि का परिवार हिंदू और हिंदी विरोध की रोटी खाता रहा है. पहले करुणानिधि फिर उसने बेटे स्टालिन और उनके नाती उदयनिधि ने सनातन धर्म की राजनीति की और उसी से अपनी सियासी रोटियां सेंकी. एक बार फिर इस बात करने की वजह बनी एक तस्वीर. जिसमें स्टालिन की पत्नी और उदयनिधि की मां दुर्गा मंदिर दर्शन करती नजर आ रही हैं. हैरानी की बात ये है कि उन्हीं एमके स्टालिन की पत्नी हैं जो सनातन धर्म का विरोध करते हैं. उनका उदयनिधि तो सनातन धर्म को मिटाने की बात किया करता है. करुणानिधि ने तो कई बार हिंदू धर्म को अपमानित किया.
सनातन के खिलाफ पुरुष उगलें जगह, महिलाएं टेकें मत्था!
हैरानी की बात ये भी है कि उदयनिधि स्टालिन खुद को प्राउड क्रिश्चियन बताते हैं. उनकी पार्टी डीएमके हिंदू धर्म विरोधी और द्रविड़ पॉलिटिक्स की पैरोकार होने का दावा करती है.
सनातन धर्म को बताया था डेंगू-मलेरिया
उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि – हम जिस तरह मच्छर, डेंगू, मलेरिया और कोरोना को समाप्त करते हैं. उसी तरह केवल सनातन धर्म का विरोध करना ही काफी नहीं है. इसे समाज से पूर्ण रूप से समाप्त किया जाना चाहिए. उदयनिधि यहीं नहीं रुके उन्होंने ये तक कह डाला कि सनातन धर्म की वजह से समाज के कुछ लोग मुश्किलें झेल रहे हैं. उनके इस बयान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहा था कि आपने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है.
हिंदू विरोधी स्टालिन सरकार
तमिलनाडु की डीएमके सरकार (स्टालिन सरकार ) जो अपने हिंदू विरोधी रूप के लिए करुणानिधि के समय से जानी जाती है. वो सरकार हिंदू मंदिरों के कायदे कानूनों में जबरन दखल बढ़ा रही है. इसके लिए वो मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति में दखल दे रही है. सितंबर, 2023 में तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार को पहले भी मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति में सरकारी दखल पर फटकार लगाई थी.
कोर्ट ने साफ कहा था कि सरकार जबरन किसी भी परंपरा में घुसने की कोशिश ना करे. इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट को कहना पड़ा था कि आगमिक मंदिरों पर सरकार की गाइडलाइंस लागू नहीं होती. अखिल भारतीय आदि शैव शिवाचार्यर्गल सेवा एसोसिएशन ने सरकार पर आरोप लगाया कि मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी राज्य की स्टालिन सरकार मनमानी कर रही है और संप्रदाय के बाहर के लोगों की नियुक्ति कर रही है.
अक्टूबर, 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना में तमिलनाडु के मंदिरों का मुद्दा उठाया था. उन्होंने कहा था कि तमिलनाडु के मंदिरों पर सरकार का कब्जा है. सरकार साजिश के तहर उन्हें अपने नियंत्रण में ले कर, मंदिर की संपत्तियों को जब्त कर रही है. लेकिन अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों को कोई भी हाथ नहीं लगाता. उन्होंने स्टालिन सरकार से सवाल किया कि क्या राज्य सरकार अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों का प्रबंधन अपने हाथ में ले सकती है. प्रधानमंत्री मोदी से पहले 2021 में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी तमिलनाडु में मंदिरों को सरकारी निगरानी से स्वतंत्र करने की वकालत की थी.
हिंदू परंपरा के विरोधी थे करुणानिधि
एमके स्टालिन के पिता करुणानिधि ने हमेशा हिंदू परंपराओं का विरोध किया. वो नास्तिक थे. ऐसा दावा किया जाता है कि एक बार उन्होंने कहा था कि क्या हिंदुओं का कोई धर्म है, हिंदू कौन हैं, अगर आप कुछ राइट विंग के लोगों से पूछेंगे तो वो बताएंगे कि हिंदू का असली मतलब चोर है. करुणानिधि ने एक बार भगवान राम के अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिया था.
(तस्वीर – उदय निधि के फेसबुक पेज से साभार)